नई दिल्ली. कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी को गुरुवार (10 अगस्त) को लोकसभा (Lok Sabha) की कार्यवाही से सस्पेंड कर दिया गया. जब तक मामला प्रिविलेज कमेटी के पास लंबित है और जांच रिपोर्ट आती है तब तक वे सदन से सस्पेंड रहेंगे. अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान पीएम मोदी (PM Modi) पर टिप्पणी की थी. विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव सदन में गिर गया है. संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सदन में प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि कांग्रेस नेता हर बार देश और सरकार की छवि को खराब करने की कोशिश करते हैं. हमने उसी दौरान माफी की मांग की थी, लेकिन उन्होंने माफी नहीं मांगी. उनके खिलाफ प्रस्ताव लाया गया जिसे स्वीकृत किया गया. स्पीकर ने कहा कि अधीर रंजन चौधरी का बर्ताव सदन के अनुरूप नहीं था.
“नए नीरव मोदी को देखने का क्या फायदा”
सस्पेंड होने के बाद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि मुझे वॉकआउट करना पड़ा क्योंकि मणिपुर के मुद्दे पर आज भी पीएम ‘नीरव’ ही बने रहे हैं तो मैंने सोचा कि नए ‘नीरव मोदी’ को देखने का क्या फायदा. पीएम मोदी कहते हैं कि पूरा देश उनके साथ है, फिर वह कांग्रेस से क्यों डरते हैं. कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि पहले आप पार्टी के सांसद संजय सिंह और रिंकू सिंह को सस्पेंड किया गया. अब अधीर रंजन चौधरी को सस्पेंड किया गया. बीजेपी इंडिया अलायंस को अपनी आवाज रखने से रोकने की कोशिश कर रही है, लेकिन हम पीछे नहीं हटेंगे. मणिपुर को पीठ दिखाई. पीएम की बातों से आज पूरा मणिपुर राज्य असंतुष्ट है.
अधीर रंजन चौधरी ने क्या कहा?
दरअसल, अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा था कि अविश्वास प्रस्ताव की ताकत आज प्रधानमंत्री को संसद में ले आई है. हममें से कोई भी इस अविश्वास प्रस्ताव के बारे में नहीं सोच रहा था. हम तो यही मांग कर रहे थे कि पीएम मोदी संसद में आएं और मणिपुर मुद्दे पर बोलें.
“नीरव मोदी बनकर चुपचाप बैठे हैं”
अधीर रंजन चौधरी ने पीएम मोदी को लेकर कहा कि जब धृतराष्ट्र अंधे थे, तब द्रौपदी का वस्त्र हरण हुआ था, आज भी राजा अंधे बने बैठे हैं. मणिपुर और हस्तिनापुर में कोई फर्क नहीं है. नरेंद्र मोदी नीरव मोदी बनकर चुपचाप चुप्पी साधे बैठे हैं. बीजेपी ने मणिपुर के एमपी को संसद में बोलने का मौका नहीं दिया.
अधीर रंजन चौधरी के बयान पर हुआ हंगामा
कांग्रेस नेता के इस बयान के बाद सदन में हंगामा शुरू हो गया था. संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने उसी वक्त सदन में कहा कि प्रधानमंत्री एक हाई अथॉरिटी हैं. इसे खत्म किया जाना चाहिए और उन्हें माफी मांगनी चाहिए. प्रधानमंत्री के खिलाफ निराधार आरोप स्वीकार नहीं किया जा सकता. इसपर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि इसे रिकॉर्ड से बाहर कर दिया गया है.
साभार : एबीपी न्यूज
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