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झारखण्ड सरकार राजकीय सम्मान के साथ देगी बिशप को अंतिम विदाई

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रांची. एशिया के पहले आदिवासी बिशप कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो का आज पूरे राजकीय सम्मान के साथ संस्कार होगा. यह कार्यक्रम रांची के पुरुलिया रोड स्थित सेंट मारिया महागिरजाघर में होगा. 84 वर्ष की उम्र में बिशप का निधन 4 अक्टूबर 2023 को हो गया था. बीमार होने की वजह से रांची के मांडर के कांस्टेंट लिवंस हॉस्पिटल में भर्ती थे. झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने खुद महागिरजाघर पहुंच कर कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो को श्रद्धांजलि दी और उनके पार्थिव शरीर पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया.

वहीं, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन उनके अंतिम संस्कार में सम्मिलित होंगे. इससे पहले झारखंड सरकार ने कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो के अंतिम संस्कार को राजकीय सम्मान के साथ करने का आदेश जारी किया था. जानकारी के मुताबिक बिशप के फेफड़ों में पानी भर गया था. इसकी वजह से उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां 4 अक्टूबर को उनका निधन हो गया था. इससे पहले मंगलवार को मांडर स्थित लिवंस अस्पताल से रांची के पुरुलिया रोड स्थित संत मारिया महागिरजाघर तक कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो की अंतिम यात्रा निकाली गई.

यह 33 किलोमीटर लंबी यात्रा एक श्रृंखला के रूप में निकाली गई. इसमें 500 से ज्यादा दो पहिया और चार पहिया वाहन शामिल हुए थे. वहीं, हजारों की संख्या में मसीही धर्मावलंबी भी शामिल रहे. कैथोलिक परंपरा के अनुसार बिशप के सेवा कार्य को देखते हुए उन्हें कैथेड्रल यानी महागिरजाघर में ही दफनाया जाता है. संत मारिया महागिरजाघर में आर्चबिशप कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो को लेडियानी बेदी में दफनाया जाएगा. यहां लेडियानी बेदी का ऐतिहासिक महत्व है.

लेडियानी बेदी का ऐतिहासिक महत्व

कहा जाता है कि जब संत मरिया महागिरजाघर का निर्माण हुआ था, उस वक्त महिलाओं के गिरजाघर में बैठने के लिए एक अलग जगह बनाई गई थी. अंग्रेज महिलाएं गिरजाघर के आगे बायीं ओर बैठती थीं. इसलिए इस जगह को लेडियानी बेदी कहा जाता है. बिशप टोप्पो की इच्छा थी कि उन्हें संत मारिया महागिरजाघर के अंदर लेडीयानी बेदी स्थित संत मदर टेरेसा की मूर्ति के नीचे दफनाया जाए. उनकी इच्छा की पूर्ति के लिए उन्हें यहां दफनाया जाएगा.

बता दें कि कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो का जन्म झारखंड के गुमला जिले के झाड़ गांव में 15 अक्टूबर 1939 को हुआ था. उनके पिता का नाम एंब्रोस टोप्पो और मां का नाम सोफिया खलखो था. कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो कुल 10 भाई बहन थे. इनमें बिशप टोप्पो आठवें नंबर पर थे. वर्ष 1969 में स्विट्जरलैंड के बेसिल में बिशप फ्रांसिसकुस ने एक पुरोहित के रूप में तेलेस्फोर पी टोप्पो का अभिषेक किया था. 8 जून 1978 में संत पॉल छठवें ने कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो को दुमका में बिशप के रूप में नियुक्ति किया था.

लड़ चुके हैं पोप का चुनाव

वहीं 21 अक्टूबर 2003 को संत जॉन पॉल द्वितीय ने उन्हें कार्डिनल नियुक्त किया. इसके अगले ही साल यानी जनवरी 2004 में 2 साल के लिए उन्हें कैथोलिक बिशप कांफ्रेंस ऑफ इंडिया (सीसीबीआई) का अध्यक्ष चुना गया. उन्होंने वर्ष 2005 और 2013 में हुए पोप के चुनाव में भी भाग लिया था. कैथोलिक कलीसिया के सबसे बड़े पद पर पहुंचने वाले वह एशिया के पहले आदिवासी बिशप थे.

साभार : टीवी9 भारतवर्ष

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