लखनऊ. तंज, अपमान या सियासी चूक। इन सभी के बीच महीन रेखा होती है। जो दिखती नहीं, लेकिन जरा सी चूक भारी नुकसान की नींव रख देती है। ऐसे तंज कब अपने फायदे के बजाए दूसरे का फायदा बन जाते हैं, ये देखना दिलचस्प है। ऐसा ही कुछ उत्तर प्रदेश की राजनीति में हुआ है। राम मनोहर लोहिया की पुण्य तिथि पर जब अखिलेश यादव मीडिया से मुखातिब हुए। तब उन्होंने ब्रजेश पाठक को सर्वेंट चीफ मिनिस्ट कहा। सियासी तीर को लपकते हुए ब्रजेश पाठक ने कहा, “अखिलेश जी का धन्यवाद। उन्होंने मुझे कम से कम जनता का नौकर माना।”
शुक्रवार को उन्होंने सोशल साइट X पर अपना Bio बदल दिया। उन्होंने लिखा- सर्वेंट ब्रजेश पाठक। वो खुद इस वक्त मध्य प्रदेश में प्रचार के लिए पहुंच चुके हैं। दरअसल, गुरुवार को लखनऊ में लोहिया पार्क पहुंचे अखिलेश ने कहा, ‘सरकार कौन है? ये सर्वेंट डिप्टी सीएम का क्या हम जवाब देंगे? हम लोग सर्वेंट डिप्टी सीएम की बात का जवाब नहीं देते, क्योंकि मुख्यमंत्री जिम्मेदार हैं। आप अभी चलिए सिविल हॉस्पिटल, चलिए लोहिया। एक भी गरीब आदमी का इलाज ठीक से हो रहा हो तो बताइए। इन्होंने सब हॉस्पिटल बर्बाद कर दिए।’
इसके जवाब में ब्रजेश पाठक ने कहा, “अखिलेश जी का धन्यवाद। उन्होंने मुझे सर्वेंट कहा। कम से कम ये माना कि मैं जनता का नौकर हूं।” उनका ये बयान तो गुरुवार को आया, मगर शुक्रवार को उन्होंने सोशल साइट पर नाम बदलकर सियासी गर्माहट पैदा कर दी है। देखना होगा कि लोकसभा चुनाव 2024 से पहले सर्वेंट डिप्टी चीफ मिनिस्टर की टैग लाइन किसको फायदा और किसे नुकसान पहुंचाती है। उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने अखिलेश यादव के सर्वेंट शब्द को अब अपने X अकाउंट के बायो में लिखा है। लेकिन ये कोई पहली बार नहीं है जब किसी बीजेपी नेता ने अपने ऊपर किये गए विपक्ष के हमले को अपने लिए सिंपैथी के रूप में प्रयोग किया हो। दरअसल भाजपा नेताओं की हमेशा से ये स्ट्रेटजी रही है कि विपक्ष के नेता जिन चीजों को लेकर उन पर हमला बोलते हैं। वह उसे ही अपनी ताकत बना लेते हैं।
2014 के लोकसभा चुनाव के समय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणि शंकर अय्यर ने नरेंद्र मोदी को चाय वाला कहा था और इसे भाजपा ने अपने कैंपेन का हिस्सा बनाया। खुद उस वक़्त प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी ने तमाम सभा में इसका जिक्र किया। चाय वाला हर व्यक्ति के जुबान पर चढ़ गया। और इसका असर ये हुआ कि भाजपा 2014 में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज हुई। प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी इसी तरह 2014 में ही नरेंद्र मोदी को ‘नीच’ कहा था। उसका भी इस्तेमाल भाजपा ने अपनी रैलियों में जनसभाओं में खूब किया। इसका जनमानस पर असर भी पड़ा और विपक्ष की बाजी उल्टी पड़ गई। बीजेपी ने लोगों के सेंटीमेंट को समझते हुए इसे अपने चुनाव प्रचार का हिस्सा बना लिया।
राहुल गांधी ने चौकीदार चोर का नारा दिया था
2019 में जब लोकसभा के चुनाव से पहले राहुल गांधी लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ‘चौकीदार चोर है’ कहकर हमला करते थे। हर कार्यक्रम में, हर प्रेस कॉन्फ्रेंस में। वो इस बात को दोहराते थे। लेकिन जिस तरह से बीजेपी ने चायवाला बयान को अपने पक्ष में किया था। उसी तरह राहुल गांधी के चौकीदार चोर के बयान को भी बीजेपी ने अपने समर्थन का एक बड़ा हथियार बना लिया।
भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव के कैंपेन में बाकायदा इसे लेकर एक गीत बनाया। जो लोगों की जुबान पर भी खूब चढ़ा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार इसका जिक्र भी करते थे। आलम ये हो गया कि बीजेपी का हर नेता खुद को चौकीदार कहने लगा। बीजेपी ने जो कैंपेन सॉन्ग तैयार किया था। उसके बोल भी थे, ‘हां मैं भी चौकीदार हूं’। उसका भी फायदा बीजेपी को 2019 में मिला और 2014 से भी बड़ी जीत हासिल की। ठीक इसी तरह अब ब्रजेश पाठक ने विपक्ष के ही हथियार को अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए इस्तेमाल किया है।
साभार : दैनिक भास्कर
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