पटना. जेडीयू प्रदेश कार्यालय में अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में जेडीयू के कई मुस्लिम नेता शामिल हुए जिनमें प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष अशरफ अंसारी, पार्टी प्रवक्ता अंजुम आरा, कई एमएलसी और शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष भी मौजूद रहे. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस का मुख्य उद्देश्य वक्फ संशोधन बिल पर पार्टी की स्थिति स्पष्ट करना और नाराज अल्पसंख्यक समाज को संदेश देना था.
अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष अशरफ अंसारी ने प्रेस से बात करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कभी किसी समाज के साथ भेदभाव नहीं किया है. उन्होंने दावा किया कि पार्टी से किसी नेता ने इस्तीफा नहीं दिया है और जेडीयू में 52 संगठन मजबूती से सक्रिय हैं. उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें भरोसा है कि नीतीश कुमार आगे भी समाज के हित में कार्य करते रहेंगे.
प्रवक्ता अंजुम आरा ने बताया कि वक्फ संशोधन विधेयक में जेडीयू द्वारा दिए गए पांच महत्वपूर्ण सुझावों को केंद्र सरकार ने स्वीकार किया है. पहला सुझाव था कि जमीन राज्य का विषय है, इसलिए राज्य की प्राथमिकता बनी रहनी चाहिए. दूसरा सुझाव यह था कि कानून पूर्व प्रभावी न हो. तीसरे सुझाव के अनुसार अगर किसी वक्फ संपत्ति पर धार्मिक स्थल बना है और वह रजिस्टर्ड नहीं है, तो भी उसमें कोई छेड़छाड़ न हो. चौथे सुझाव में कहा गया कि वक्फ विवादों के निपटारे का अधिकार जिला अधिकारी से ऊपर के स्तर के अधिकारी को दिया जाए. पांचवां सुझाव वक्फ संपत्तियों के डिजिटलीकरण के लिए समय सीमा 6 महीने बढ़ाने का था.
जहां एक ओर जेडीयू नेता पार्टी की नीतियों का बचाव करते नजर आए, वहीं पत्रकारों द्वारा जब काउंटर सवाल किए गए तो एक भी नेता ने कोई जवाब नहीं दिया और प्रेस कॉन्फ्रेंस अचानक समाप्त कर सभी नेता हॉल से बाहर निकल गए. इससे यह स्पष्ट संकेत मिला कि पार्टी के भीतर इस मुद्दे पर पूरी पारदर्शिता नहीं है.
साभार : जी न्यूज
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