पटना. राहुल गांधी की बिहार दौरे की शुरुआत लेनिनग्राद के नाम से मशहूर बेगूसराय की धरती से हुई है. राहुल गांधी बेगूसराय में कन्हैया कुमार की ‘नौकरी दो, पलायन रोको’ यात्रा में शामिल होकर राजधानी पटना में राजनीतिक धूल उड़ाने पहुंचे हैं. राहुल गांधी की इस यात्रा पर विपक्षी पार्टियों ने जोरदार हमला बोला है. पटना में राहुल गांधी श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल में संविधान बचाओ कार्यक्रम में भाग लेकर पार्टी ऑफिस सदाकत आश्रम में पार्टी नेताओं के साथ बैठक करेंगे. राहुल गांधी की इस यात्रा से जहां विपक्षी पार्टियों में खलबली मच गई है, वहीं आरजेडी नेता तेजस्वी यादव पटना स्थित अपने आवास पर बैठकर इस यात्रा को लेकर पल-पल की जानकारी ले रहे हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि राहुल गांधी की इस यात्रा के बाद आरजेडी के साथ गठबंधन और सीट शेयरिंग को लेकर बड़ा ऐलान हो सकता है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या राहुल गांधी के बिहार दौरे से कांग्रेस की बंजर जमीन को उर्वरा मिलेगी? क्या राहुल गांधी बिहार में 100 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना का ऐलान करेंगे?
राहुल गांधी की बिहार यात्रा पर बीजेपी ने जोरदार हमला बोला है. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय की प्रतिक्रियाएं आई हैं. नित्यानंद राय ने कहा है कि राहुल गांधी जहां भी जाते हैं, वहां सबसे पहले अपने गठबंधन और अपनी पार्टी के लिए समस्याएं खड़ी करते हैं. इस बार बिहार आए हैं तो इससे तेजस्वी यादव की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. वहीं, गिरिराज सिंह ने राहुल गांधी के बेगूसराय यात्रा पर सवाल खड़ा करते हुए कहा, ‘उनके पिता स्वर्गीय राजीव गांधी ने साल 1985 में कहा था कि बेगूसराय में पेट्रो केमिकल्स का कारखाना खोलेंगे, लेकिन उन्होंने ऐसा काम नहीं किया. पेट्रो केमिकल्स का कारखाना खोलने का काम पीएम नरेंद्र मोदी ने किया. इसके लिए राहुल गांधी को सिमरिया घाट पर जाकर बालू और गोबर खाकर प्रायश्चित करना चाहिए.’
क्या बिहार कांग्रेस में आएगी जान?
राहुल की यात्रा का बिहार चुनाव पर असर कितना पड़ेगा यह तो कहना अभी जल्दबाजी होगा, लेकिन राहुल की इस यात्रा से महागठबंधन की एकता पर असर जरूर पड़ सकता है. अगर बीजेपी का दावा सही साबित होता है और राहुल की सक्रियता से आरजेडी और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे या नेतृत्व को लेकर तनाव बढ़ता है तो यह महागठबंधन के लिए नुकसानदायक हो सकता है. कांग्रेस पहले ही संकेत दे चुकी है कि वह गठबंधन में रहकर अधिक सीटों पर दावा करना चाहती है, लेकिन आरजेडी इसे आसानी से स्वीकार नहीं कर रही है.
हालांकि, बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए कांग्रेस ने अभी तक अपनी योजना को पूरी तरह से सार्वजनिक रूप से स्पष्ट नहीं किया है, लेकिन जिस तरह से आरजेडी के साथ सीटों के बंटवारे और सीएम चेहरे पर विवाद है, उससे इस यात्रा से सुलझने की उम्मीद है. 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने महागठबंधन के साथ 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था, हालांकि केवल 19 सीटें ही जीत पाई. आरजेडी नेताओं ने तब कहा था कि कांग्रेस की वजह से तेजस्वी यादव सीएम नहीं बन पाए. ऐसे में कांग्रेस पार्टी इस बार भी कम से कम उतनी ही सीटों पर अपनी दावेदारी मजबूत करना चाहती है, जितनी सीटों पर साल 2020 में चुनाव लड़ी थी. लेकिन, आरजेडी 50 से ज्यादा किसी भी कीमत पर सीटें देने को तैयार नहीं है. हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स और नेताओं के बयानों से यह भी संकेत मिलता है कि कांग्रेस 100 सीटों तक पर तैयारी कर रही है. यानी राहुल गांधी इस यात्रा का मकसद कांग्रेस की खोई जमीन को पाने की और आरजेडी के साथ सम्मानित तरीके से सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तैयार करने का है.
साभार : न्यूज18
भारत : 1885 से 1950 (इतिहास पर एक दृष्टि) व/या भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं