चंडीगढ़. पंजाब के गुरदासपुर से बड़ी खबर सामने आ रही है। यहां पुलिस और किसानों के बीच ज़बरदस्त भिड़ंत हो गई। इस झड़प में सात किसान गंभीर रूप से घायल हो गए। किसानों का कहना है कि एक्सप्रेस-वे बनाने के नाम पर उनकी जमीनें छीनी जा रही हैं। उन्हें सही मुआवज़ा भी नहीं मिल रहा है। ऊपर से कम मुआवज़ा देकर उन्हें चुप कराना चाहता है। और तो और, ज़मीन लेने से पहले उन्हें कोई सूचना भी नहीं दी जा रही है। किसानों ने साफ कर दिया है कि वे अपना विरोध जारी रखेंगे।
सरकार और किसानों के बीच तनाव की स्थीति
गुरदासपुर की घटना ने किसानों और सरकार के बीच तनाव और बढ़ा दिया है। किसानों का कहना है कि सरकार उनकी बात नहीं सुन रही है। ज़मीन अधिग्रहण कानूनों का सही पालन नहीं हो रहा है। उन्हें उचित मुआवज़ा नहीं मिल रहा है। और उनकी ज़िंदगी का सहारा छीना जा रहा है। सरकार का कहना है कि विकास के लिए ज़मीन अधिग्रहण ज़रूरी है। और वे किसानों को उचित मुआवज़ा दे रहे हैं। लेकिन दोनों पक्षों के बीच बातचीत का कोई रास्ता नहीं दिख रहा है। किसानों की मांग है कि सरकार ज़मीन अधिग्रहण से पहले उनसे बात करे। उन्हें सही मुआवज़ा दे। और उनके पुनर्वास की व्यवस्था करे। वे यह भी चाहते हैं कि सरकार खेती को बचाने के लिए ठोस कदम उठाए। क्योंकि खेती ही उनके जीवन का आधार है। अगर खेती नहीं बचेगी तो उनका जीवन भी बर्बाद हो जाएगा।
चंडीगढ़ घुसने नहीं दिया था
बता दें कि 5 मार्च को चंडीगढ़ में भी ऐसा ही नजारा देखने को मिला था। जब किसान मान सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। पूरे पंजाब से किसान चंडीगढ़ आने वाले थे। लेकिन पुलिस ने पहले ही किसान नेताओं को हिरासत में लेना शुरू कर दिया। किसानों के जत्थों को रास्ते में ही रोक दिया गया। कई जगहों पर किसान सड़क पर ही बैठ गए। पंजाब सरकार ने पहले ही कह दिया था कि आंदोलन की इजाज़त नहीं है।
साभार : नवभारत टाइम्स
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