चेन्नई. केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शुक्रवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के कार्यान्वयन पर जारी विवाद को लेकर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन पर निशाना साधा है। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सीएम स्टालिन पर ‘राजनीतिक एजेंडे को बनाए रखने के लिए प्रगतिशील सुधारों को खतरे में डालने’ का आरोप लगाया है।
छात्रों के हितों के बारे में सोचें- प्रधान
धर्मेंद्र प्रधान ने स्टालिन को लिखे पत्र में कहा कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री को राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर छात्रों के हितों के बारे में सोचना चाहिए क्योंकि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से उन्हें लाभ होगा। शिक्षा मंत्री प्रधान स्टालिन द्वारा गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे गए पत्र का जवाब दे रहे थे।
प्रगतिशील शैक्षिक सुधारों को खतरे में डालना अनुचित- प्रधान
स्टालिन ने अपने पत्र में कहा कि केंद्र प्रायोजित दो पहलों समग्र शिक्षा अभियान (SSA) और पीएम श्री स्कूल को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) से जोड़ना मौलिक रूप से अस्वीकार्य है। प्रधान ने स्टालिन को लिखे अपने पत्र में कहा, ‘प्रधानमंत्री को भेजा गया पत्र मोदी सरकार द्वारा प्रचारित सहकारी संघवाद की भावना का पूर्ण खंडन है। इसलिए, राज्य के लिए एनईपी 2020 को अदूरदर्शी दृष्टि से देखना और अपने राजनीतिक एजेंडे को बनाए रखने के लिए प्रगतिशील शैक्षिक सुधारों को खतरे में डालना अनुचित है।’
केंद्र और तमिलनाडु सरकार आमने-सामने
तमिलनाडु और केंद्र सरकार राज्य में नई शिक्षा नीति के कार्यान्वयन को लेकर आमने-सामने हैं। द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) सरकार ने शिक्षा मंत्रालय पर महत्वपूर्ण योजनाओं के लिए धन रोकने का आरोप लगाया है।
शिक्षा नीति को बनाया गया लचीला
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने लिखा, ‘राजनीतिक कारणों से एनईपी 2020 का लगातार विरोध तमिलनाडु के छात्रों, शिक्षकों और शैक्षणिक संस्थानों को इस नीति द्वारा प्रदान किए जाने वाले अपार अवसरों और संसाधनों से वंचित करता है। नीति को लचीला बनाया गया है, जिससे राज्यों को अपनी विशिष्ट शैक्षिक आवश्यकताओं के अनुरूप इसके कार्यान्वयन को अनुकूलित करने की अनुमति मिलती है।’
किसी भी भाषा को थोपने की वकालत नहीं
प्रधान ने लिखा, ‘इसके अलावा, समग्र शिक्षा जैसे केंद्र समर्थित कार्यक्रम एनईपी 2020 के साथ संरेखित हैं। साथ ही, पीएम श्री विद्यालयों को एनईपी के आदर्श स्कूल के रूप में परिकल्पित किया गया है।’ प्रधान ने तमिलनाडु के तीन-भाषा फॉर्मूले के विरोध पर स्पष्ट किया कि नीति किसी भी भाषा को थोपने की वकालत नहीं करती है।
गैर भाजपा राज्यों ने भी किया लागू- प्रधान
उन्होंने कहा, ‘कई गैर-भाजपा राज्यों ने राजनीतिक मतभेदों के बावजूद एनईपी की प्रगतिशील नीतियों को लागू किया है। इसलिए, मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आप राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठें और हमारे छात्रों के हित को ध्यान में रखते हुए मामले को समग्र रूप से देखें।’
साभार : इंडिया टीवी
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