चंडीगढ़. पंजाब में शिरोमणि अकाली दल (शिअद) में बगावत जोरों पर है। बागी गुट की बैठक से पहले शिअद ने चंडीगढ़ स्थित पार्टी मुख्यालय में पार्टी नेताओं की बैठक की। बैठक का नेतृत्व दलजीत सिंह चीमा और बलविंदर भूदड़ ने किया। जबकि बागी गुट की बैठक अलग जगह पर हुई। बैठक में प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा, जागीर कौर, सिकंदर सिंह मलूका, गुर प्रताप सिंह बडाला, सुखदेव सिंह ढींडसा और चरणजीत सिंह बराड़ समेत कई नेता मौजूद रहे। इस मौके पर पत्रकार वार्ता में बागी गुट के नेताओं ने कहा कि वे अकाली दल सुधार लहर चलाएंगे।
इसके लिए गुर प्रताप बडाला को संयोजक नियुक्त किया जाएगा। एक और कमेटी बनाई जाएगी, जिसमें सभी की सहमति से फैसले लिए जाएंगे। सुधार लहर के तहत पंथ की महान शख्सियतों के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। 24 सितंबर को गुरचरण सिंह टोहड़ा साहिब का 100 साला मनाया जाएगा। साथ ही उन्होंने कहा कि जिन लोगों को सुखबीर बादल ने चुनाव के दौरान पार्टी से निकाल दिया था या जो पुराने अकाली परिवार हैं, उन्हें पार्टी में शामिल किया जाएगा।
सुखबीर प्रधान पद से दे इस्तीफा
प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने मीटिंग से पहले कहा कि पार्टी आफिस में मीटिंग के लिए समय नहीं मांगा गया था। प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कहा अकाली दल को मजबूत करना है तो सुखबीर बादल को इस्तीफा देना चाहिए। जालंधर चुनाव में सारी स्थिति साफ हो गई। वहीं, झूंदा कमेटी की सिफारिशों को लागू किया जाए। बीबी जागीर कौर ने कहा कि वह ही असली अकाली दल के नेता है। हम अकाली दल सुधार लहर लेकर आ रहे हैं।
यह पार्टी ऑफिस है, मैरिज पैलेस नहीं
इस मौके दलजीत सिंह चीमा ने बताया कि मीटिंग में एसजीपीसी चुनाव और चार विधानसभा उपचुनाव को लेकर मीटिंग की गई है। अभी तक चंडीगढ़ के नजदीक के ही लीडर बुलाए गए थे। जब उनसे बागी गुट नेताओं की मीटिंग के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि प्रधान साहब मीटिंग कर रहे थे तो यह लोग आए नहीं। इन्होंने बाहर जाकर शिरोमणि अकाली दल को नुकसान पहुंचाया। उन्होंने कहा कि पार्टी ऑफिस का सबका सांझा घर होता है। कोई भी अपनी मन की बात रख सकता है।
लेकिन इस घर की मर्यादा है कि वह घर का एक मुखी चुने, जो मुखी सभी लोग चुनते है उसके हाथ ही घर की चाबी होती है। उन्होंने कहा कि यह मैरिज पैलेस तो नहीं है कि कोई भी बुकिंग करवाकर मीटिंग कर ले। इसमें लोगों के मुद्दों पर चर्चा होती है। जो लोग पार्टी के खिलाफ चलते हैं, उनके लिए यहां जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि भी किसी नेता मीटिंग के लिए जगह नहीं मांगी। जहां तक बागी नेताओं पर कार्रवाई की बात का सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि इस बारे में अनुशासन कमेटी को फैसला लेना है। अनुशासन कमेटी के प्रमुख बलविंदर भूदड़ ने कहा कि बागी गुट के नेता प्रधान पद का चुनाव लड़ सकते हैं। वहीं, उन्होंने कहा कि प्रधान पद के लिए इनके साथ 15 लोगों को साथ नहीं मिलेगा। जबकि बीबी जागीर कौर ने जब चुनाव लड़ने की बात आएगी तो वह चुनाव भी लड़ लेंगे।
चंडीगढ़ पुलिस ने दफ्तर की बढ़ाई सुरक्षा
चंडीगढ़ पुलिस को सूचना मिली थी कि अकाली दल का बागी गुट भी पार्टी आफिस में मीटिंग करने आ रहा है। ऐसे में किसी भी तरह का माहौल न गर्मा जाए। इसके चलते सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। शिरोमणि अकाली दल के अंदर बगावत के सुर लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद उठने लगे थे। जब पार्टी सिर्फ एक बठिंडा सीट जीत पाई थी। यह सीट पार्टी प्रमुख सुखबीर सिंह बादल की पत्नी हरसिमरत कौर ने जीती थी। यह उनकी लगातार जीत थी। चुनाव के बाद जैसे ही पार्टी ने इस पर चर्चा के लिए बैठक बुलाई, बैठक से पहले ही प्रमुख सुखबीर बादल को बदलने की मांग उठने लगी। हालांकि, पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि उन्हें यह आवाज पार्टी मंच पर उठानी चाहिए।
जालंधर पश्चिम उपचुनाव के दौरान यह अंदरूनी कलह सार्वजनिक हो गई थी। जब पार्टी ने बसपा का समर्थन किया था। साथ ही, अपने उम्मीदवार से नामांकन वापस लेने को कहा था। हालांकि, उम्मीदवार ने अपना नामांकन वापस नहीं लिया। साथ ही, बागी गुट ने कहा कि वे तकड़ी चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ेंगे। हालांकि, पार्टी को चुनाव में बुरी हार का सामना करना पड़ा था।
श्री अकाल तख्त पर दाखिल किया था माफ़ीनामा
इससे पहले अकाली दल के बागी गुप की ने श्री अकाल तख्त को माफ़ीनामा दिया था। माफ़ीनामा में उनकी तरफ से चार गलतियां क़बूली की गई। इसमें डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम को माफी देने से लेकर बेअदबी की घटना समेत सभी चीजों का जिक्र किया गया। वहीं, उनका कहना था कि उस समय पार्टी की सरकार थी। ऐसे में वह भी इसके लिए जिम्मेदार है।
साभार : दैनिक भास्कर
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