लखनऊ. उत्तर प्रदेश के संभल जिले में नवंबर 2024 में हिंसा भड़क गई थी. इस हिंसा में गोली लगने से पांच लोगों की मौत हो गई थी, जिसके बाद तीन सदस्यीय न्यायिक जांच समिति का गठन किया गया था. संभल हिंसा की जांच के सिलसिले में न्यायिक जांच समिति की टीम संभल पहुंच गई है. जहां हिंसा के चश्मदीदों के बयान दर्ज किए गए.
हिंदू पक्ष के वकील का बयान दर्ज
इस मामले में हिंदू पक्ष के वकील गोपाल शर्मा यहां पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस में न्यायिक आयोग के समक्ष पेश हुए. उन्होंने बाद में बताया कि आयोग ने उनसे घटना के संबंध में प्रत्यक्षदर्शी के तौर पर लिखित हलफनामा मांगा था. हिंदू पक्ष के वकील गोपाल शर्मा ने कहा, ‘‘मैंने आयोग के समक्ष इस हलफनामे को प्रस्तुत किया है. दूसरा, आयोग ने मुझसे कई प्रश्न पूछे, मैंने उनका उत्तर दिया. उन्होंने पूछा कि कौन-कौन मौजूद थे, दंगा सुनियोजित था या नहीं, क्या कोई पूर्व योजना थी, लोग जबरन क्यों घुसे, फोटोग्राफी कैसे की गई, मैंने इन सभी के उचित उत्तर दिए.’’
शाही जामा मस्जिद सर्वे के दौरान हुई हिंसा
पिछले साल 19 नवंबर से ही संभल में तनाव का माहौल है जब शाही जामा मस्जिद का न्यायालय द्वारा आदेशित सर्वे इस दावे के बाद किया गया कि इस स्थल पर पहले हरिहर मंदिर था. सर्वे के दूसरे दौर के दौरान 24 नवंबर को, प्रदर्शन कर रहे स्थानीय लोगों की सुरक्षाकर्मियों के साथ झड़प हो गई, जिसके परिणामस्वरूप चार लोगों की मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हो गए. न्यायिक जांच आयोग में उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश देवेंद्र अरोड़ा, पूर्व पुलिस प्रमुख अरविंद कुमार जैन और उत्तर प्रदेश के पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद शामिल हैं.
न्यायिक आयोग ने संभल का किया था दौरा
आयोग के सदस्यों ने एक दिसंबर, 2024 के अलावा 21 और 30 जनवरी, 2025 को संभल का दौरा किया था. उन्होंने अपनी पिछली यात्रा के दौरान भी अधिकारियों के बयान दर्ज किए थे. संभल की शाही जामा मस्जिद के एक हिंदू मंदिर होने का दावा करने वाले अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने शुक्रवार को अपने चौथे दौरे के दौरान बयान दर्ज कराया था.
साभार : जी न्यूज
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