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उद्यम करने से ही सिद्धि मिलती है : नरेंद्र मोदी

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नई दिल्ली (मा.स.स.). प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्यमी भारत कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे यहां बचपन से एक श्लोक सिखाया जाता है, और ये श्‍लोक हम सबने सुना है-

उद्यमेन ही सिध्यन्ति, कार्याणि ना मनौरथे:

यानि उद्यम करने से ही सिद्धि मिलती है, सिर्फ सोचते रहने से कुछ नहीं होता, और सोचने वालों की कमी नहीं होती। इस श्लोक के भाव को अगर मैं आज के समय के हिसाब से थोड़ा बदल करके कहूं तो मैं ये कहूंगा कि MSME’s के उद्यम से ही आत्मनिर्भर भारत अभियान को सिद्धि मिलेगी, भारत सशक्त होगा। कहने को तो आप लोग सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमी हैं, लेकिन 21वीं सदी का भारत जिस ऊंचाई को प्राप्त करेगा, उसमें आप सभी की भूमिका बहुत अहम है।

भारत का एक्सपोर्ट लगातार बढ़े, भारत के प्रॉडक्ट्स नए बाजारों में पहुंचें इसके लिए देश के MSME सेक्टर का सशक्त होना बहुत जरूरी है। हमारी सरकार, आपके इसी सामर्थ्य, इस सेक्टर की असीम संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए निर्णय ले रही है, नई नीतियां बना रही है। हमारे देश के हर जिले में, हर हिस्से में जो हमारे अद्भुत उत्पाद हैं, उन लोकल उत्पादों को हमने ग्लोबल बनाने का संकल्प लिया है।

प्रयास ये है कि मेक इन इंडिया के लिए लोकल सप्लाई चेन बने, जो भारत की विदेशों पर निर्भरता कम कर सके। अब इसलिए MSMEs सेक्टर का विस्तार करने पर अभूतपूर्व बल दिया जा रहा है। इसी कड़ी में आज अनेक नई योजनाएं लॉन्च की गई हैं। हज़ारों करोड़ रुपए की ये योजनाएं, MSMEs की क्वालिटी और प्रमोशन से जुड़ी हैं। MSME इकोसिस्टम को और सशक्त करने के लिए लगभग 6 हजार करोड़ रुपए की ramp स्कीम हो, First time exporters को प्रोत्साहन देने का कार्यक्रम हो, और प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन प्रोग्राम के दायरे को बढ़ाने का निर्णय हो, सरकार के इन महत्वपूर्ण प्रयासों से भारत के MSME सेक्टर को और गति मिलने वाली है।

थोड़ी देर पहले देश की 18 हज़ार MSMEs को 500 करोड़ रुपए से अधिक ट्रांसफर किए गए हैं, आपके सामने डिजिटली, already उनके एकाउंट को पैसे चले गए। 50 हजार करोड़ रुपए के सेल्फ रिलायंट इंडिया फंड के तहत 1400 करोड़ रुपए से अधिक MSMEs के लिए रिलीज़ हुए हैं। सभी लाभार्थियों को, पूरे MSME sector को मैं इसके लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं, अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं।

अभी यहां मंच पर आने से पहले मुझे अनेक साथियों से बातचीत करने का अवसर मिला और उन लोगों से मैं बात कर रहा था जिनको सरकार की किसी न किसी योजना का उन्‍हें लाभ मिला था। अब उनहोंने उसमें अपने टेलेंट्स, अपने परिश्रम, अपनी स्किल इन सबको लगा करके एक नई दुनिया खड़ी कर दी है।

बातचीत के दौरान जिस प्रकार का आत्मविश्वास मैं इन मेरे नौजवान ज्‍यादतर थे, हमारी माताएं – बहनें थीं, बेटियां थीं। उन सब उद्यमियों में मैं जो अनुभव कर रहा था, वो आत्मविश्वास और आत्मनिर्भर भारत का जो अभियान है उसमें एक नई ऊर्जा का एहसास होता था। शायद मुझे ज्‍यादा समय होता तो मैं और घंटों तक उनसे बातें करता रहता कि हरेक के पास कुछ न कुछ कहने को है, हरेक के पास अपना अनुभव है, हरेक का अपना एक साहस है, हरेक ने अपनी आंखों के सामने अपनी प्रतिष्‍ठा को बनते देखा है। ये अपने-आप में बड़ा सुखद अनुभव था।

आज बहुत से साथियों को पुरस्कार भी मिला है। जिन साथियों ने पुरस्‍कार प्राप्‍त किया है उनको मैं बधाई तो देता हूं लेकिन जब पुरस्‍कार मिलता है तो अपेक्षाएं जरा ज्‍यादा बढ़ जाती हैं। हम चाहेंगे कि आपने जो किया है, अब एक बहुत बड़ी छलांग लगाएं। आपने जो किया है उससे आप अनेकों को प्रेरित करें और एक ऐसा माहौल हम बना दें कि अब आगे ही आगे जाना है।

आप भी जानते हैं कि जब हम MSME कहते हैं तो तकनीकि भाषा में इसका विस्तार होता है Micro, Small और Medium Enterprises. लेकिन ये सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम, भारत की विकास यात्रा का बहुत बड़ा आधार हैं। भारत की अर्थव्यवस्था में लगभग एक तिहाई हिस्सेदारी MSME सेक्टर की है। आसान शब्दों में कहूं तो भारत आज अगर 100 रुपए कमाता है, तो उसमें 30 रुपए मेरे MSME सेक्टर की वजह से आते हैं। MSME सेक्टर को सशक्त करने का मतलब है, पूरे समाज को सशक्त करना, सबको विकास के लाभ का भागीदार बनाना, सबको आगे बढ़ाना। इस सेक्टर से जुड़े करोड़ों साथी देश के ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं। इसलिए MSME सेक्टर, देश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है।

आज पूरी दुनिया भारत की अर्थव्यवस्था की गति को देखकर प्रभावित है और इस गति में बहुत बड़ी भूमिका हमारे MSME सेक्टर की है। इसलिए MSME आज Macro Economy की मजबूती के लिए जरूरी हैं। आज भारत जितना निर्यात कर रहा है, उसमें बहुत बड़ा हिस्सा MSME सेक्टर का है। इसलिए MSME आज Maximum Exports के लिए जरूरी हैं। MSME सेक्टर को मजबूती देने के लिए पिछले आठ साल में हमारी सरकार ने बजट में 650 प्रतिशत से ज्यादा की बढोतरी की है। और इसलिए हमारे लिए MSME का मतलब है – Maximum Support to Micro Small and Medium Enterprises!

इस सेक्टर से 11 करोड़ से भी अधिक लोग इससे direct-indirect जुड़े हुए हैं। इसलिए MSME आज Maximum Employment के लिए बहुत जरूरी हैं। इसलिए जब 100 साल का सबसे बड़ा संकट आया तो, हमने अपने छोटे उद्यमों को बचाने के साथ ही उन्हें नई ताकत देने का भी फैसला किया। केंद्र सरकार ने इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम के तहत साढ़े 3 लाख करोड़ रुपए की मदद MSMEs के लिए सुनिश्चित की।

एक रिपोर्ट के मुताबिक इससे करीब डेढ़ करोड़ रोज़गार खत्म होने से बचे गए, ये बहुत बड़ा आंकड़ा है। दुनिया के कई देशों की आबादी से भी ज्‍यादा बड़ा आंकड़ा है ये। आपदा के समय मिली यही मदद आज देश के MSMEs सेक्टर को नए रोज़गार के निर्माण के लिए प्रोत्साहित कर रही है। हमने इस साल के बजट में इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम को अगले साल मार्च तक बढ़ाने की भी घोषणा की है। इसके अंतर्गत, जो भी इसके अंतर्गत आते हैं उनको भी 50 हजार करोड़ रुपए से बढ़ा कर अब 5 लाख करोड़ रुपए कर दिया गया है, 10 गुना ज्‍यादा।

आजादी के इस अमृतकाल में हमारे MSMEs,  भारत की आत्मनिर्भरता के विराट लक्ष्य की प्राप्ति का भी बहुत बड़ा माध्यम हैं। एक समय था जब पहले की सरकारों ने इस सेक्टर की शक्ति पर भरोसा नहीं किया, इस सेक्टर को एक तरह से बांध दिया था, उनके नसीब पर छोड़ दिया था। वे अपने बलबूते पर कुछ कर पाएं तो कर लें, उनको कोई अवसर मिल जाए तो कुछ आगे बढ़ लें। हमारे यहां छोटे उद्योगों को छोटा बनाकर रखा जाता था, भले ही उनमें कितनी ही संभावना क्यों न हो! छोटे उद्योगों के लिए इतनी छोटी परिभाषा तय की गई थी कि आप सब पर हमेशा ये दबाव रहता था कि इससे ज्यादा व्यापार किया तो जो फायदे मिलते हैं, वो मिलना बंद हो जाएंगे। इसलिए स्‍कोप था तो भी बढ़ना नहीं चाहता था, अगर बढ़ता था तो कागज पर आने ही नहीं देता था। छुप-छुप कर तो थोड़ा-बहुत कर लेता होगा। आपकी बात मैं नहीं बताता हूं, वो तो ओरों की बात कर रहा था। आप लोग कभी बुरा नहीं कर सकते। आप लोग तो अच्‍छे लोग हैं।

और इसका एक बड़ा दुष्प्रभाव रोजगार पर भी पड़ता था। जो कंपनी ज्यादा लोगों को रोजगार दे सकती थी, वो भी ज्यादा रोजगार नहीं देती थी ताकि वो सूक्ष्म और लघु उद्योग की सीमा से बाहर चली जाती थी! उसको टेंशन रहती थी कि भई इससे नंबर बढ़ना नहीं चाहिए। इस सोच और इन नीतियों की वजह से कितने ही उद्योगों का विकास और प्रगति रुक गई थी। हमने इस रुकावट को दूर करने के लिए MSMEs की परिभाषा को बदल डाला और साथ ही सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों की जरूरतों का भी ध्यान रखा। हमने ये सुनिश्चित किया कि ये उद्यम आगे भी बढ़ें और उन्हें जरूरी लाभ और सहायता भी मिलती रहे। अगर कोई उद्योग आगे बढ़ना चाहता है, विस्तार करना चाहता है, तो सरकार न केवल उसे सहयोग दे रही है, बल्कि नीतियों में जरूरी बदलाव भी कर रही है।

आज wholesale व्यापारी हों, रिटेल व्यापारी हों, रिटेल वेंडर्स हों, ये सभी MSME की नई परिभाषा के अंतर्गत priority sector lending के तहत लोन का लाभ ले रहे हैं। और आप जानते हैं इसका मतलब क्‍या होता है। Manufacturing और service sector के बीच के अंतर को भी दूर किया गया है। आज GeM के माध्यम से सरकार को सामान और सेवाएं मुहैया कराने के लिए MSMEs को बहुत बड़ा प्लेटफॉर्म मिल चुका है। और मैं सभी आप साथियों से और आपके माध्‍यम से आपके सभी एसोसिएशन को MSME’s सेक्‍टर में हों, छोटे-छोटे लोग, आप GeM  पोर्टल पर रजिस्‍ट्री करवा ही दीजिए।

एक बार GeM  पोर्टल में है तो सरकार को कुछ भी खरीदना है तो पहले वहां जाना ही पड़ेगा। आप कहेंगे कि मैं नहीं दे पाऊंगा, तो‍ फिर कहीं ओर जाएंगे। इतना बड़ा निर्णय और सरकार एक बहुत बड़ा खरीदार होती है। उसको अनेकों चीजों की जरूरत पड़ती है। और उसे ज्‍यादातर उन चीजों की जरूरत पड़ती है जिसको आप उत्‍पादित करते हैं। और इसलिए मैं चाहता हूं कि GeM  पोर्टल पर एक मिशन मोड में आप अभियान चलाइए। आज करीब 50-60 लाख लोग उस पर जुड़े हुए हैं जो विक्रेता हैं, ये तीन-चार करोड़ लोग क्‍यों नहीं हो सकते हैं। ताकि सरकार भी, उसको भी choice रहेगा कि किस प्रकार से चीजें ली जा सकती हैं।

देखिए, पहले सरकारी खरीद में MSME’s को कदम जमाने की कितनी मुश्किलें आती थीं। उसके लिए बड़ा मुश्किल होता था कि इतनी बड़ी requirement, इतना बड़ा टेंडर, मैं कहां जाऊंगा। वो बेचारा किसी और को दे देता था वो जाकर देता है। अब जरूरी नहीं है। अगर आप एक थर्मस भी बेचना चाहते हैं, एक थर्मस, तो भी GeM  पोर्टल से ये देश खरीद सकता है, सरकार खरीद सकती है। मुझे मेरे ऑफिस में एक बार एक थर्मस की जरूरत थी, तो हम GeM पोर्टल पर गए तो तमिलनाडु के गांव की महिला ने कहा कि मैं दे सकती हूं। और पीएम ऑफिस में तमिलनाडु के गांव से थर्मस आया, उसको पेमेंट मिल गया, थर्मस से मुझे गरम चाय भी मिल गई, उसका भी काम हो गया। ये GeM  पोर्टल की ये ताकत है और ये आपके फायदे के लिए है। आपको इसका जितना फायदा उठा सकते हैं उठाना चाहिए।

दूसरा एक जो महत्‍वपूर्ण निर्णय किया है-  200 करोड़ रुपए तक की सरकारी खरीद में अब Global टेंडर नहीं करना, ये हमारी सरकार का निर्णय है। इसका मतलब एक प्रकार से आपके लिए रिजर्वेशन हो गया है वो। अब ये न हो कि भई 200 करोड़ तक तो लेना नहीं है तो जैसे भी दो मोदी जाएगा कहां, उसको तो लेना ही पड़ेगा, ऐसा मत करना। क्‍वालिटी compromise मत करना। आप ऐसा करके दिखाइए कि सरकार को निर्णय करने के लिए मजबूर होना पड़े कि आज तो आपने 200 करोड़ किया है, आगे से 500 करोड़ का प्रतिबंध लगा दीजिए, हम 500 करोड़ तक देने को तैयार हैं। हम एक healthy competition की ओर जा रहे हैं।

Global markets में भी MSME’s उद्योग देश का परचम और ऊंचा लहराएं, इसके लिए निरंतर प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इसी दिशा में first time MSME exporters के लिए नए Initiative लिए गए हैं। आर्थिक मदद हो, सर्टिफिकेशन से जुड़ी मदद हों, ये सुविधाएं export प्रोसेस को फर्स्ट टाइम एक्सपोर्टर्स के लिए और आसान बनाएंगी। और मैं तो चाहूंगा कि हमारे अधिकतम लोग ग्‍लोबल मार्केट की तरफ नजर करें। आप ये चिंता मत कीजिए कि आपकी फैक्‍टरी बहुत छोटी है, आप चीज बहुत छोटी बनाते हैं। आप चिंता मत कीजिए, आप खोजते रहिए, दुनिया में कोई तो होगा जो इसके इंतजार में होगा।

और मैंने तो मेरे मिशन को भी कहा है विदेश विभाग में कि अब विदेश विभाग डिप्‍लोमेटिक जो काम करते आए हैं करें, लेकिन तीन चीजें उनको करनी ही पड़ रही हैं, हर मिशन को मैंने कहा है। मैं मिशन का मूल्‍यांकन तीन बातों को जोड़ करके  करूंगा। एक- ट्रेड, दूसरा टेक्‍नोलॉजी और तीसरा टूरिज्‍म। अगर आप उस देश में भारत के प्रतिनिधि हैं तो आपको ये बताना होगा हिन्‍दुस्‍तान से कितना सामान उस देश ने इम्‍पोर्ट किया- ये हिसाब-किताब रखूंगा।

दूसरा मैंने कहा है उस देश के पास अगर कोई बढ़िया टेक्‍नोलॉजी है, उसको आप हिन्‍दुस्‍तान में लाए कि नहीं लाए। क्‍या कोशिश की, ये नापा जाएगा। और तीसरा, उस देश से कितने लोग भारत देखने के लिए आए। ये 3-T जो हैं ना, आज मिशन पूरे लगे हुए हैं। लेकिन अगर आप उस मिशन से संपर्क नहीं करोगे, आप नहीं बताओगे कि हां भाई ये बनाते हैं, आपके देश में वहां ये जरूरत है, तो फिर वो मिशन वाले क्‍या करेंगे। सरकार आपकी मदद करने के लिए तैयार है लेकिन आप भी अपने गांव में, अपने राज्‍य में, अपने देश में बेचने के बजाय आपकी ब्रांड दुनिया में जाए, ये सपने ले करके आज यहां से जाना है। अगली बार में पूछूंगा कि पहले 5 देश में माल जा रहा था अब 50 में जा रहा है‍ कि नहीं जा रहा है, और मुफ्त बेचना नहीं है, कमाना है आपको।

बीते 8 वर्षों में MSME सेक्टर का इतना विस्तार इसलिए हुआ है क्योंकि हमारी सरकार देश के MSME उद्यमियों, कटीर उद्योगों, हथकरघा, हस्तशिल्प से जुड़े साथियों पर भरोसा करती है। हमारी नीयत और हमारी निष्ठा बिल्‍कुल साफ है और इसकी का परिणाम नजर आ रहा है। हम कैसे बदलाव लाए हैं इसका एक उदाहरण प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम भी है। 2008 में जब देश और पूरी दुनिया आर्थिक मंदी की चपेट में था, तब इस योजना को लागू किया गया था। तब ये दावा किया गया था कि अगले 4 वर्षों के दौरान, यानी में 2008 की बात कर रहा हूं, चार वर्षों के अंदर लाखों रोज़गार तैयार किए जाएंगे। लेकिन 4 साल बाद भी तब की सरकार अपने आधे लक्ष्‍यों के तब भी निकट तक भी नहीं पहुंच पाई थी।

2014 के बाद हमने देश के MSMEs, देश के युवाओं के हित में इस योजना को लागू करने के लिए हमने नए लक्ष्य तय किए, नए तौर-तरीके अपनाए, और नई ऊर्जा के साथ लग गए। बीच में कोरोना का संकट आया, और भी छोटे-मोटे संकट आप देखते हैं दुनियाभर में क्‍या चल रहा है। इसके बावजूद भी बीते वर्षों में इस योजना के तहत ही 40 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिल चुका है और MSME’s के माध्‍यम से। इस दौरान, इन उद्यमों को लगभग 14 हज़ार करोड़ रुपए की मार्जिन मनी सब्सिडी दी गई है। इससे देश में लाखों नए उद्यम शुरू हुए हैं। देश के युवाओं को बड़ी संख्या में रोज़गार देने के लिए इस योजना में आज नए आयाम जोड़े जा रहे हैं। अब इस योजना के दायरे में आने वाले प्रोजेक्ट्स, इसकी cost Limit  को बढ़ा दिया गया है। मैन्युफेक्चरिंग सेक्टर में इसे 25 लाख रुपए से बढ़ाकर 50 लाख, तो सर्विस सेक्टर में इसको 10 लाख रुपए से बढ़ाकर 20 लाख कर दिया गया है यानी एक प्रकार से डबल।

यही नहीं, जो 100 से अधिक हमारे aspirational districts हैं, आज अपने देखा होगा aspirational districts में काम जो किया है, उनको भी आज हमने सम्‍मानित किया। क्‍योंकि जिन जिलों को राज्‍य भी गिनता नहीं था, उन जिलों में आज वो ताकत आई है कि हिन्‍दुस्‍तान को उनको सम्‍मानित करने की नौबत आ गई है। ये बदलाव कैसे आता है, उसका एक नमूना है। और aspirational districts के हमारे युवाओं को हम मदद करें, इतना ही नहीं हमारे देश में एक बहुत बड़ा initiative लिया है। जो हमारे टांसजेंडर हैं, ईश्‍वर ने उनके साथ जो भी किया है,  उनको भी भी अधिक अवसर मिलें, उनके लिए भी पहली बार एक विशेष दर्जा देकर उनको भी आर्थिक सहायता और उनके अंदर जो क्षमताएं हैं उनको आगे बढ़ने के लिए अवसर देना, उस दिशा में हमने काम किया है।

सही नीतियां हों और सबका प्रयास हो तो कैसे बड़ा बदलाव आता है, इसका एक बड़ा उदाहरण अभी हम जब फिल्‍म देख रहे थे, उसमें भी उसका उल्‍लेख था, हमारा खादी। आजादी के शुरू-शुरू में तो खादी याद रही। धीरे-धीरे खादी सिकुड़ करके नेताओं का costume बन गया,  नेताओं के लिए ही बच गई वो। बड़ा-बड़ा कुर्ता पहनों, चुनाव लड़ो यही चलता था। उस खादी में फिर से प्राण भरने का काम किया। पहले की जो नीतियां थीं, उसको आज देश भलीभांति जानता है।

अब पहली बार खादी और ग्रामोद्योग का टर्नओवर 1 लाख करोड़ रुपए के पार पहुंचा है। ये इसलिए संभव हुआ है क्योंकि गांवों में हमारे छोटे-छोटे उद्यमियों ने, हमारी बहनों ने, हमारी बेटियों ने बहुत परिश्रम किया है। बीते 8 वर्षों में खादी की बिक्री 4 गुणा बढ़ी है। बीते 8 वर्षों में खादी और ग्रामोद्योग में डेढ़ करोड़ से ज्यादा साथियों के लिए रोज़गार के अवसर सृजित हुए हैं। अब भारत की खादी local से global हो रही है, विदेशी फैशन ब्रैंड भी खादी की तरफ आकर्षित हो रहे हैं, हमारा उस पर भरोसा होना चाहिए। हम अगर भरोसा नहीं करेंगे, दुनिया क्‍यों भरोसा करेगी जी। आप अपने घर में अपने बच्‍चे का सम्‍मान नहीं करोगे और आप चाहेगे कि मोहल्‍ले वालें करें, हो सकता है क्‍या। नए-नए क्षेत्रों से, नए-नए बाजारों के लिए नए रास्ते बने हैं, जिसका छोटे उद्योगों के लिए बहुत फायदा हो रहा है।

Entrepreneurship- उद्यमशीलता आज हमारे गांव, गरीब, छोटे शहरों-कस्बों के परिवारों के लिए सहज विकल्प बन रही है। इसका एक बड़ा कारण है, लोन मिलने में आसानी। 2014 से पहले तक भारत में बैंकों के दरवाज़े तक पहुंचना सामान्य मानवी के लिए बहुत मुश्किल था। बिना गारंटी के बैंकों से ऋण पाना लगभग असंभव था। गांव-गरीब, भूमिहीन, छोटे किसान, छोटे दुकानदार की गारंटी भला कौन देगा, और बिना गारंटी के वो करेगा क्‍या? उसको साहूकार के पास जाना पड़ता था। बैंक लोन नहीं देते थे और दूसरी जगहों से जब लेते थे तो ब्‍याज से मर जाते थे। कर्ज के बोझ में डूब जाते थे, और इसलिए वो बड़ी defensive जिंदगी जीने के लिए मजबूर हो जाता था। ऐसी स्थिति में गांव में रहने वाले, गरीब, दलित, वंचित, शोषित, पिछड़े, आदिवासी, इनके बेटा-बेटी स्वरोजगार के बारे में सोचते ही नहीं थे, वो रोजगार के लिए कहीं शहर में जा करके झुग्‍गी-झोंपड़ी की जिंदगी गुजारनी पड़े, बेचना मजबूरन चला जाता था। अब हमारी बहनों-बेटियों के सामने तो नए विकल्‍प ले करके अहम आए हैं। उन सीमित विकल्‍पों से हमने उनको बाहर ले जाने का प्रयास किया है।

इतने बड़े देश का तेज़ विकास, सबको साथ लेकर ही हो सकता है। इसलिए 2014 में सबका साथ, सबका विकास के मंत्र पर चलते हुए हमने इस दायरे को बढ़ाने का फैसला किया। इसके लिए हमने रिफॉर्म्स का, नई संस्थाओं के निर्माण का, स्किल डेवलपमेंट और access to credit का रास्ता चुना। उद्यमशीलता को हर भारतीय के लिए सहज बनाने में मुद्रा योजना की बहुत बड़ी भूमिका है। बिना गांरटी के बैंक लोन की इस योजना ने महिला उद्यमियों, मेरे दलित, पिछड़े, आदिवासी उद्यमियों का एक बहुत बड़ा वर्ग देश में तैयार किया है, और नए-नए क्षेत्रों में किया है, दूर-सुदूर गांवों में किया है।

इस योजना के तहत अभी तक लगभग 19 लाख करोड़ रुपए ऋण के तौर पर दिए गए हैं। और लोन लेने वालों में लगभग 7 करोड़ ऐसे उद्यमी हैं, जिन्होंने पहली बार कोई उद्यम शुरु किया है, और वो एक नए उद्यमी बने हैं। यानि मुद्रा योजना की मदद से, 7 करोड़ से अधिक साथी पहली बार स्वरोज़गार से जुड़े हैं। और खुद जुड़े इतना ही नहीं है, किसी ने एक को, किसी ने दो को, किसी ने तीन को अपने यहां रोजगार दिया है, वो job seeker नहीं, वो job creator बना है।

ये बात भी खास है कि मुद्रा योजना के तहत जो लगभग 36 करोड़ लोन दिए गए, उसमें से लगभग 70 प्रतिशत लोन, ये और खुशी की बात है, और देश कैसे बदल रहा है, देश कैसे बढ़ रहा है, इसका ये सबसे बड़ा उदाहरण है…ये जो लोन दिए गए हैं उसमें 70 प्रतिशत महिला उद्यमी हैं। कल्पना कीजिए, कितनी बड़ी संख्या में हमारी बहनें-बेटियां इस एक योजना से ही उद्यमी बनी हैं, स्वरोज़गार से जुड़ी हैं और उसके कारण उनका जो आत्‍मविश्‍वास, आत्‍मसम्‍मान बना होगा, परिवार में जो उसकी इज्‍जत बनी होगी, समाज में उसकी इज्‍जत बनी होगी, उसकी तो कई गिनती ही नहीं हो सकती, दोस्‍तों।

MSME सेक्टर भले ही पूरी तरह से फॉर्मल ना हो लेकिन access to credit formal रहा है। भारत की अर्थव्यवस्था का आकलन करने वाले इस पहलू की चर्चा बहुत ज्यादा नहीं करते। और इसमें हम 10-20 हज़ार रुपए की बात नहीं कर रहे हैं, जिसको पहले माइक्रोफाइनेंस माना जाता था। यहां हम 50 हज़ार से लेकर 10 लाख रुपए तक के गारंटी फ्री finance की बात कर रहे हैं, जो आज महिला उद्यमियों तक पहुंच रहा है।

यानि पहले जहां महिला उद्यमिता के लिए माइक्रोफाइनेंस को सिर्फ पशुपालन, कढ़ाई-बुनाई…मुझे याद है हम जब गुजरात में थे तो कभी-कभी सरकार की ऐसी योजनाएं आती थीं, मुर्गी के लिए पैसे देते थे और फिर बताते थे- मुर्गी लीजिए, इतने अंडे होंगे, फिर इतनी मुर्गी होंगी, फिर इतने अंडे होंगे। और वो बेचारा लोन लेता था, पांच मुर्गी ले आता था और शाम को लाल गाड़ी वाले अफसर आ जाते थे, वो कहते थे रात को रुकना है। अब रात को रुक्‍ने का मतलब क्‍या है, पांच में से दो गई। हम सबने देखा है ना।

आज वक्‍त बदल चुका है दोस्‍तों। ऐसी छोटी-छोटी चीजों में सब सीमित रखा गया। हमने मुद्रा योजना के माध्‍यम से पूरे ग्राफ को बदल दिया, उसका हौसला बुलंद बना दिया। 10 लाख रुपये चाहिए, उठाओ…करो कुछ। मुझे ये जानकर भी बहुत अच्छा लगा कि उद्यम पोर्टल पर रजिस्टर्ड कुल MSMEs में से करीब 18 प्रतिशत महिलाएं हैं, ये भी अपने-आप में बहुत अच्‍छी बात है। ये भागीदारी औऱ बढ़े, इसके लिए हमें मिलकर काम करना होगा।

Entrepreneurship में ये inclusiveness, ये आर्थिक समावेश ही सही मायने में सामाजिक न्याय है। क्या आपने कभी सोचा था कि रेहड़ी, ठेले, पटरी पर अपना छोटा सा काम करने वाले साथियों को बैंकों से ऋण मिलेगा? मैं बिल्‍कुल विश्‍वास से कहता हूं जी जिस बैंक मैनेजर के घर में सालों से जो सब्‍जी पहुंचाता होगा, सालों से अखबार उनके यहां डालता होगा, उसको भी शायद उस बैंक वाले ने कभी लोन नहीं दिया होगा। इसका मतलब ये नहीं कि उसका अविश्‍वास था, उसका मतलब ये नहीं कि उसको कुछ मिलेगा, लेकिन एक ऐसी सोच का दायरा बन गया था कि इसके बाहर नहीं निकल सकते।

आज वो रेहड़ी-पटरी वाले बैंक के दरवाजे पर जाकर खड़े रहते हैं, बिना गारंटी पैसा दिया जाता है उनको और इसी का नाम है स्‍वनिधि। आज पीएम स्वनिधि योजना के तहत लाखों ऐसे साथियों को सिर्फ ऋण ही नहीं मिल रहा है, बल्कि उनके छोटे कारोबार को बड़ा करने का रास्ता भी मिला है। हमारे जो साथी गांव से शहर आते हैं सरकार इनको एक साथी की तरह सपोर्ट कर रही है और ये मेहनत करके अपने परिवार को गरीबी के कुचक्र से बाहर निकलने के लिए प्रयास कर रहे हैं।

और आपको जान करके खुशी होगी अगर मैं आपको कहूं कि आप डिजिटल पेमेंट कीजिए तो आप 50 बार सोचेंगे, डिजिटल पेमेंट करूंगा तो रिकॉर्ड बनेगा, रिकॉर्ड बनेगा तो मोदी देखेगा, मोदी देखेगा तो किसी इनकम टैक्‍स वाले को भेजेगा, इसलिए डिजिटल नहीं करूंगा। आपको खुशी होगी सब्‍जी, दूध बेचने वाले मेरे ठेलेवाले डिजिटल पेमेंट कर रहे हैं। और मैं मानता हूं दोस्‍तों, इस प्रगति में हमें शरीक होना है। इस प्रगति का आपको नेतृत्‍व करना है। आगे आइए दोस्‍तों, मैं आपके साथ चलने के लिए तैयार हूं। यही सच्ची प्रगति है, यही सही विकास है।

मैं आज इस कार्यक्रम के माध्यम से, MSME सेक्टर से जुड़े अपने हर भाई-बहनों को ये विश्वास दिलाता हूं सरकार आपकी जरूरतों को पूरा करने के लिए, आपकी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए नीतियां बनाने के लिए तैयार है, निर्णय करने के लिए तैयार है और proactively आपका हाथ पकड़ कर चलने के लिए तैयार है, आप आगे आइए दोस्‍तों।

उद्यमी भारत की हर सिद्धी…और मुझे उसमें कोई दुविधा नहीं है, आत्‍मनिर्भर भारत की प्राणशक्ति इसी में है दोस्‍तों, आप ही में है आपके पुरुषार्थ में है। और मेरा देश के MSME सेक्टर पर, आप सब पर, देश की युवा पीढ़ी में, और विशेष करके हमारी बेटियां जो साहस के साथ आगे रही हैं, उन पर मेरा भरोसा है। और इसलिए मैं कहता हूं कि ये देश अपने सारे सपनों को अपनी आंखों के सामने सिद्ध होते हुए देखने वाला है। आप अपनी आंखों के सामने देखेंगे कि हां ये बदला हुआ, ये हुआ, आपको दिखेगा जी।

देश के MSME सेक्टर से मेरा आग्रह है कि सरकार की इन योजनाओं का पूरा लाभ उठाएं। और आपके एसोसिएशन में जाऊंगा मैं। आज से देखना शुरू करूंगा GeM पोर्टल पर इसी हफ्ते में एक करोड़ लोग ज्‍यादा बढ़े कि नहीं बढ़े, मैं देखना चाहता हूं। जरा एसोसिएशन के लोग आओ मैदान में। सरकार आपसे लेने के लिए तैयार है, आप जुड़िए तो। सरकार को बताइए मैं ये बनाता हूं, ले लो। आप देखिए बिना हिचकिच हर चीज आपकी चली जाएगी जी।

मुझे अच्‍छा लगा, जिन साथियों को सम्‍मान करने का मुझे अवसर मिला है। इसका मतलब ये नहीं है कि और लोग नहीं करते होंगे। वो भी अपनी तैयारी करें, अगली बार आपको सम्‍मान करने का मुझे मौका मिले। अचीव लोगों को सम्‍मान करने का मुझे मौका मिले। और अधिक ऊंचाइयों को प्राप्‍त करें। कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री नारायण राणे और भानु प्रताप सिंह वर्मा आदि उपस्थित रहे।

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