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भारत ने बिम्सटेक ऊर्जा केंद्र (बीईसी) के गवर्निंग बोर्ड की पहली बैठक की मेजबानी की

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नई दिल्ली (मा.स.स.). भारत ने बेंगलुरु स्थित शांगी-ला होटल में बिम्सटेक ऊर्जा केंद्र (बीईसी) के गवर्निंग बोर्ड की पहली बैठक की मेजबानी की। विद्युत मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव और बीईसी के गवर्निंग बोर्ड के अध्यक्ष अजय तिवारी ने बिम्सटेक सदस्य देशों के प्रतिनिधियों का स्वागत किया। उन्होंने बिम्सटेक देशों के बीच मौजूदा सहयोग की पृष्ठभूमि के बारे में एक संक्षिप्त जानकारी दी। इस बैठक में बिम्सटेक सचिवालय के साथ सभी बिम्सटेक देशों यानी बांग्लादेश, भूटान, भारत, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड ने अपनी सक्रिय भागीदारी की है। इसके सभी सदस्य देशों ने एक लंबे अंतराल के बाद इस बैठक को आयोजित करने की सराहना की।

इस बैठक के दौरान भारत की “पड़ोसी पहले” और “एक्ट ईस्ट” नीतियों को रेखांकित किया गया। इसके अलावा उन क्षेत्रों का एक स्नैपशॉट भी प्रस्तुत किया गया, जिनमें बिम्सटेक के देश एक-दूसरे से सीख सकते हैं। बिम्सटेक ऊर्जा केंद्र के मेजबान के रूप में भारत ने अपने यहां बिम्सटेक ऊर्जा केंद्र (बीईसी) की स्थापना पर एक प्रस्तुति दी। इसके अलावा सदस्य देशों को इसकी जानकारी दी गई कि बेंगलुरु स्थित केंद्रीय विद्युत अनुसंधान संस्थान (सीपीआरआई) के परिसर में बीईसी को स्थापित किया जाएगा।

केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) के अध्यक्ष घनश्याम प्रसाद को बिम्सटेक ऊर्जा केंद्र के पहले कार्यकारी निदेशक के रूप में नामित किया गया। इस बैठक में “भारत सरकार और बिम्सटेक सचिवालय के बीच मेजबान देश समझौते” को लेकर टिप्पणी (नोट) पर विचार किया और उसे अंतिम रूप दिया। इसके साथ ही, बिम्सटेक स्थायी कार्य समिति की सातवीं बैठक में विचार के लिए इसकी सिफारिश की गई। बिम्सटेक क्षेत्र में मौजूदा ऊर्जा परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए इस बैठक में बीईसी की विशेष शाखाओं के तहत अतिरिक्त क्षेत्रों को जोड़ने की सिफारिश की गई। इनमें (1) साइबर सुरक्षा, (2) हरित हाइड्रोजन और (3) ऊर्जा रूपांतरण हैं।

सदस्य देशों ने बिम्सटेक ऊर्जा केंद्र के गवर्निंग बोर्ड की पहली बैठक आयोजित करने के लिए भारत के प्रयासों की सराहना की। इसके अलावा सभी देशों ने बिम्सटेक की ऐसी बैठकों को नियमित अंतराल पर आयोजित करने की संभावना को भी व्यक्त किया।

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