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भारतीय सौर ऊर्जा निगम ने ग्रिडको, ओडिशा सरकार के साथ किया बिजली बिक्री समझौता

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भुवनेश्वर (मा.स.स.). भारत सरकार के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के मातहत भारतीय सौर ऊर्जा निगम (एसईसीआई- सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड) ने ग्रिडको, ओडिशा सरकार के साथ बिजली बिक्री समझौते (पीएसए) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के तहत ग्रिडको, ओडिशा भारतीय सौर ऊर्जा निगम से पवन ऊर्जा परियोजना योजना से जुड़े आईएसटीएस (इंटर स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम) के भाग XIII के तहत 600 मेगावाट पवन ऊर्जा खरीदेगा। नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की आईएसटीएस योजना के तहत, नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों से समृद्ध राज्य से उत्पन्न बिजली को नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों की कमी वाले राज्यों को प्रेषित किया जा सकता है।

एसईसीआई और ग्रिडको, ओडिशा के बीच समझौते पर आज 9 जून, 2023 को भुवनेश्वर में ओडिशा सरकार के ऊर्जा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एन बी ढाल की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए। ओडिशा विद्युत नियामक आयोग ने पहले ही ग्रिडको द्वारा 600 मेगावाट पवन ऊर्जा की खरीद के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। प्रोजेक्ट डेवलपर्स के साथ बिजली खरीद समझौते (पीपीए – पावर परचेज एग्रीमेंट) पर हस्ताक्षर करने की तारीख से 24 महीने के भीतर बिजली चालू होने का कार्यक्रम है। गुजरात, कर्नाटक और महाराष्ट्र में स्थित डेवलपर्स द्वारा 600 मेगावाट की कुल बिजली क्षमता स्थापित किए जाने की संभावना है। एसईसीआई केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के तहत एक मिनिरत्न श्रेणी- I का केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है, जिसकी स्थापना वर्ष 2011 में की गई थी। यह भारत की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की दिशा में नवीकरणीय ऊर्जा योजनाओं और परियोजनाओं के मंत्रालय की प्राथमिक कार्यान्वयन एजेंसी है।

अब तक, एसईसीआई ने 58 जीडब्ल्यू से अधिक की अक्षय ऊर्जा परियोजना क्षमता तैयार की है। एसईसीआई अपने स्वयं के निवेश के साथ-साथ परियोजना प्रबंधन सलाहकार (पीएमसी) के रूप में सार्वजनिक क्षेत्र की अन्य संस्थाओं के लिए परियोजनाओं की स्थापना में भी सक्रिय है। एसईसीआई को आईसीआरए की एएए क्रेडिट रेटिंग प्राप्त है। ग्रिडको लिमिटेड अभी ओडिशा राज्य के अंदर चार बिजली वितरण कंपनियों को बिजली की थोक खरीद और थोक बिक्री में लगी हुई है और पड़ोसी राज्यों के साथ बिजली के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए व्यापारियों के माध्यम से अधिशेष बिजली का व्यापार करती है।

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