तिरुवनंतपुरम. विपक्षी दलों के इंडिया ब्लॉक को एक बहुत बड़ा झटका लग सकता है। इस गठबंधन को लेकर अबतक जो आशंकाएं पैदा हो रही थीं, अब वह जमीन पर दिखनी शुरू हो गई हैं। अभी सीटों के बंटवारे पर बात भी नहीं हुई है, लेकिन सहयोगी दलों की ओर से ‘लाल’ लकीर खींचे जाने की खबरें आ रही हैं। वामपंथी पार्टी ने बंगाल और केरल में गठबंधन से अलग रहना तय किया है। सीपीएम ने तय किया है कि वह बंगाल में ‘बीजेपी और तृणमूल दोनों से’ बराबर दूरी बनाए रखेगी। वहीं केरल में वह कांग्रेस की अगुवाई वाले यूनाइडेट डेमोक्रैटिक फ्रंट (UDF)से अलग रहेगी।
समन्वय समिति से भी सीपीएम को परहेज-रिपोर्ट यही नहीं सीपीएम ने बीजेपी के खिलाफ बने इंडिया ब्लॉक की समन्वय समिति के लिए अपने किसी प्रतिनिधि का नाम नहीं देने का भी फैसला किया है। गौरतलब है कि इसमें विपक्षी गठबंधन के 14 दलों के प्रतिनिधियों को शामिल होना है, जबकि सीपीएम के प्रतिनिधि का नाम अबतक नहीं दिया गया है। इसकी एक बैठक हाल ही में एनसीपी संस्थापक शरद पवार के घर पर हो भी चुकी है।
सीपीएम की लाइन से इंडिया ब्लॉक को लग सकता है झटका विपक्षी दलों ने जिस रणनीति के तहत बीजेपी और एनडीए के खिलाफ बड़ा मोर्चा खड़ा किया था, उसमें अगर सीपीएम ने अलग लाइन ली तो इंडिया ब्लॉक के लिए बहुत बड़ा झटका साबित हो सकता है। जानकारी के मुताबिक विपक्षी दलों के वोट में विभाजन रोकने के नाम पर पिछले हफ्ते के आखिर में दिल्ली में हुए सीपीएम पोलित ब्यूरो की बैठक में ये फैसले लिए गए हैं। मतभेद की बात सच है- सीपीएम नेता वैसे सीपीएम पोलित ब्यूरो के सदस्य और राज्यसभा के पूर्व सांसद नीलोत्पल बसु ने कहा है कि फैसला ‘गठबंधन बनाने की संभावना से इनकार नही करता है।’
उन्होंने बताया, ‘मतभेद (इंडिया ब्लॉक के भीतर) हैं और यह सच्चाई है।’ उन्होंने कहा, ‘बेंगलुरु में हुए इंडिया ब्लॉक की बैठक से पहले सीताराम येचुरी ने यह स्पष्ट कर दिया था कि पश्चिम बंगाल में हम समझते हैं कि लड़ाई बीजेपी और तृणमूल के खिलाफ होगी, केरल में यूडीएफ और एलडीएफ के बीच संघर्ष होगा। आप राष्ट्रीय स्तर पर चुनावी तालमेल नहीं कर सकते, यह सिर्फ राज्य स्तर पर हो सकता है।’ इंडिया ब्लॉक के मतभेदों के चलते रद्द हुई भोपाल रैली? वहीं सीपीएम नेता ने इंडिया ब्लॉक के समन्वय समिति से पार्टी के दूर रहने के फैसले पर कहा कि इंडिया के भीतर संगठनात्मक ढांचे से इसके विस्तार में बाधाएं पैदा होंगी।
जानकारी के मुताबिक सीपीएम ने तब इंडिया ब्लॉक के समन्वय समिति में प्रतिनिधि का नाम देने से मना कर दिया, जब मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने अक्टूबर के पहले हफ्ते में भोपाल में होने वाली इसकी पहली रैली को रद्द कर दिया। इस रैली का फैसला समन्वय समिति की पहली बैठक में ही लिया गया था। सीपीएम ने औपचारिक तौर पर गठबंधन के हक में काम करने की बात कही है हालांकि, पोलित ब्यूरो की बैठक के बाद पार्टी की ओर से जो औपचारिक बयान जारी किया गया, उसमें इस तरह की बातें सामने नहीं आ पाई थीं। औपचारिक तौर पर पार्टी ने गठबंधन के विस्तार के लिए काम करने की ही बात की है। इसे भी पढ़ें- 14 न्यूज एंकरों के कौन से कार्यक्रमों से परेशान हुआ I.N.D.I.A.? बंगाल, केरल में नहीं तो लेफ्ट कहां करेगा गठबंधन ?
हाल में त्रिपुरा में हुए विधानसभा उपचुनाव के नतीजे के बाद ऐसा लगता है कि वहां सीपीएम की जमीनी स्तर पर अब पूरी तरह से कमर टूट चुकी है। बंगाल में उसे अपने झंडे दिखाते रहने के लिए भी कांग्रेस की बैसाखी की जरूरत पड़ रही है। सिर्फ केरल में ही उसकी अगुवाई में लेफ्ट डेमोक्रैटिक फ्रंट (LDF) की सरकार चल रही है। ऐसे में सवाल है कि जब यह वामपंथी पार्टी इंडिया ब्लॉक के साथ इन्हीं दोनों राज्यों में सहयोग करने से दूर रहेगी तो फिर किस तरह के गठबंधन की चर्चा की जा रही है?
साभार : वन इंडिया
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