लखनऊ. ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने मदरसों को नोटिस जारी किए जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि पहले मदरसों को सर्वे के नाम पर फिर विदेशी फंडिंग के नाम पर डराया गया और अब नोटिस देकर हड़काया जा रहा है। उन्होंने कहा कि संविधान ने अल्पसंख्यकों को शिक्षक संस्थान खोलने और संचालित करने की पूरी इजाजत दी है। इसी वजह से पूरे भारत में मदरसे, स्कूल व कॉलेज चल रहे हैं।
मौलाना ने कहा कि शिक्षा विभाग ने जिन मदरसों को नोटिस दिया है, वो संविधान के विरुद्ध है। इसको उच्चतम न्यायालय में चैलेंज किया जाएगा। शिक्षा विभाग का मदरसों पर 10 हजार रुपए जुर्माना लगाने का अधिकार नहीं है, उनको सिर्फ मान्यता देने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि होना तो ये चाहिए था कि जिन मदरसों की मान्यता नहीं है उनको मान्यता दी जाए, जिनके मानक पूरे नहीं हैं मानक पूरे कराएं जाए। शिक्षा की गुणवत्ता का ख्याल रखा जाए। मगर ये सब न करके शिक्षा विभाग मनमानी करने पर उतरा हुआ है ताकि मदरसों की संचालन करने वाली समितियां भयभीत होकर मदरसे बंद कर दें।
उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग ने मुजफ्फरनगर, बहराइच, फतेहपुर, कौशांबी आदि जनपदों में नोटिस भेज कर और मौखिक तौर पर मदरसे से जुड़े लोगों को धमकी दी है कि 10 हजार रुपये जुर्माना भरो, नहीं तो मदरसा बंद कर दिया जाएगा। शिक्षा विभाग का ये तानाशाही रवैया बहुत दिनों तक बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।
यह है मामला
सरकार द्वारा प्रदेश के सभी मदरसाओं के सर्वे के बाद एक बार फिर मुजफ्फरनगर के मदरसे चर्चाओं में है। कारण है कि शिक्षा विभाग द्वारा मुजफ्फरनगर के लगभग एक दर्जन से ज्यादा मदरसा संचालकों को एक नोटिस जारी करते हुए यह पूछा गया है कि अगर उनका मदरसा निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के अध्याय 4 की धारा 18 के अनुसार मान्यता प्राप्त है तो मदरसे की मान्यता संबंधित अभिलेखों में तीन दिन के अंदर उपलब्ध कराएं। यदि आपका मदरसा मान्यता प्राप्त नहीं है तो आपके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही आपकी मदद से या विद्यालय को आरटीई एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी। यदि मदरसा खुल पाया गया तो प्रतिदिन 10 हजार रुपए का जुर्माना भी आप पर लगाया जाएगा। बेसिक शिक्षा विभाग से नोटिस मिलने के बाद सभी मदरसा संचालकों में हड़कंप मच गया।
साभार : अमर उजाला
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