नई दिल्ली. भारत और चीन के बीच हुए समझौते के तहत दोनों सेनाओं ने चरणबद्ध तरीके से पीछे हटना शुरू कर दिया है। पूर्वी लद्दाख सेक्टर में डेमचोक और देपसांग में दो बिंदुओं पर भारत और चीन के सैनिक पीछे हट रहे हैं। दोनों पक्षों के बीच हुए समझौतों के अनुसार, भारतीय सैनिकों ने संबंधित क्षेत्रों में लगे उपकरणों को हटाना शुरू कर दिया है। दोनों सेनाओं के अस्थायी टेंट और अस्थायी ढांचों को हटाया जा रहा है।
डेमचोक और देपसांग में पेट्रोलिंग को लेकर हुआ समझौता
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत और चीन देपसांग और डेमचोक क्षेत्र में एक-दूसरे को गश्त के अधिकार बहाल करने पर सहमत हो गए हैं। इसका मतलब है कि भारतीय सैनिक देपसांग में गश्त बिंदु (पीपी) 10 से 13 तक और डेमचोक के चारडिंग नाला में गश्त कर सकते हैं। समझौते से पहले देपसांग और डेमचोक में दोनों पक्षों के 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय सैनिक चारडिंग नाला के पश्चिमी हिस्से की ओर वापस चले गए हैं, जबकि चीनी सैनिक नाला के पूर्वी हिस्से की ओर पीछे हट रहे हैं। दोनों पक्षों के लगभग 10-12 अस्थायी ढांचों और लगभग 12 टेंट हैं, जिन्हें हटाया जाना है।
गुरुवार को चीनी सेना ने क्षेत्र में अपने वाहनों की संख्या भी कम कर दी, और भारतीय सेना ने भी कुछ सैनिकों को वापस बुला लिया। रिपोर्ट्स के अनुसार, सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद, अगले 4-5 दिनों के भीतर देपसांग और डेमचोक में सैनिकों की गश्त फिर से शुरू होने की उम्मीद है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, समझौते के तहत अब चीन के सैनिक देपसांग में स्थित बॉटलनेक इलाके में भारतीय सैनिकों को नहीं रोक सकेंगे। यह 18 किलोमीटर का इलाका है, जिस पर भारत का दावा है।
ब्रिक्स सम्मेलन से पहले हुआ था समझौते का एलान
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी के रूस में ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेने और वहां चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से द्विपक्षीय मुलाकात से पहले भारत और चीन के बीच एलएसी पर पेट्रोलिंग को लेकर समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत दोनों सेनाएं साल 2020 से पहले की स्थिति में लौटेंगी। चीन ने भी इस समझौते की पुष्टि की, बीजिंग ने कहा कि ‘प्रासंगिक मामलों’ का समाधान हो गया है और वह समझौते के प्रस्तावों को लागू करने के लिए नई दिल्ली के साथ मिलकर काम करेगा।
दोनों देशों की सेनाओं के बीच झड़प रुकेगी
डेमचोक और देपसांग में गश्त और पशु चराने की व्यवस्था मई 2020 से पहले की तरह फिर से शुरू होंगी। समझौते के तहत गलवान घाटी, पैंगोंग त्सो के उत्तरी और दक्षिणी तट, गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र जैसे टकराव के बिंदुओं पर पूर्व के समझौतों के तहत ही व्यवस्था रहेगी। भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि समझौते के बाद एलएसी पर दोनों देशों के सेनाओं के बीच की झड़प रुक सकेगी। उल्लेखनीय है कि साल 2020 में गलवान में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें भारतीय सेना के कर्नल रैंक के एक अधिकारी समेत 20 भारतीय जवान बलिदान हुए थे।
साभार : अमर उजाला
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