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पाकिस्‍तानी एक्‍सपर्ट कमर चीमा ने अपने नेताओं को दी नरेंद्र मोदी से सीखने की सलाह

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इस्लामाबाद. पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ, उनके भाई पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने हाल ही में परिवार के साथ बेलारूस का दौरा किया है। बेलारूस के प्रेसीडेंट के न्योते पर पहुंचे शरीफ परिवार ने इस दौरान बेलारूस के कुछ पाकिस्तानियों से भी मुलाकात की। पूरे शरीफ परिवार के बेलारूस जाने और वहां किसी आम पाकिस्तानी के बजाय खास लोगों से मिलने पर पाकिस्तान के राजनीतिक टिप्पणीकार और यूबट्यूबर कमर चीमा ने सवाल उठाया है। चीमा का कहना है कि इस पर हमें भारत और नरेंद्र मोदी से सीखने की जरूरत है।

कमर चीमा ने सोमवार को जारी अपने वीडियो में कहा, ‘इंडिया के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस गए तो वहां भारतीय वैज्ञानिकों से मुलाकात की थी। देर तक बैठकर उनसे बात की थी। इससे पहले कुवैत के दौरे पर भी नरेंद्र मोदी ने भारतीयों से मुलाकात की। ये वो भारतीय थे, जो वहां छोटीमोटी नौकरी या मजदूरी का काम करते हैं ना कि कोई बिजनेसमैन हैं। दूसरी ओर पाकिस्तान के लीडर दूसरे देशों में जाकर एलीट (उच्चवर्ग) से मिलती है। ये बहुत बड़ा फर्क है।’

मोदी से क्यों नहीं सीखते पाकिस्तानी

कमर चीमा ने कहा कि विदेशों में भारतीय पीएम और पाकिस्तानी पीएम की जो मुलाकातें है, वो एक बड़ा फर्क पैदा करती हैं। मोदी अगर सऊदी या अमेरिका में किसी आम इंसान से मिलते हैं तो भारत में भी इसका एक मैसेज जाता है। एक आम भारतीय को लगता है कि ये हमारे बीच का आदमी है। ये हमारे जैसे लोगों से बात कर रहा है। वहीं जब कोई लीडरशिप आम लोगों के पास ही नहीं आती तो लोगों में भी उनके लिए दूरी बनती है। वो अपने नेताओं से दूर चले जाते हैं।

चीमा ने आगे कहा, ‘नरेंद्र मोदी का जो स्टाइल है, विदेशों में जाने और लोगों से मिलने का, उसे आखिर पाकिस्तानी लीडर्स क्यों नहीं अपना रहे हैं। नरेंद्र मोदी से आखिर पाकिस्तानी लीडर्स क्यों नहीं सीखते हैं। मुझे तो लगता है कि पाकिस्तानी सियासतदान को नरेंद्र मोदी से सीख लेने की जरूरत है। पाकिस्तानी लीडर्स को एक छोटे गुट से निकलकर आम लोगों के बीच आने की जरूरत है।’

पाकिस्तान में परिवारवाद बहुत ज्यादा

कमर चीमा ने कहा कि पाकिस्तानी और भारत के नेताओं में एक और फर्क ये है कि पाकिस्तानी पूरे परिवार को लेकर विदेश जाते हैं। दूसरी ओर भारत के नेता इससे बचते हैं। अब बेलारूस के शरीफ के हालिया दौरे पर ही बात की जाए तो वहां शहबाद शरीफ, नवाज शरीफ, मरियम नवाज, मरियम नवाज की बहन और बेटी और परिवार के कुछ बच्चे भी गए थे। ये ऐसा ही है कि ये हम हैं और ये हमारा परिवार और यहां पर हमारी पार्टी हो रही है।

चीमा का कहना है कि नेताओं के इस बर्ताव की वजह से ही पाकिस्तान में परिवारवाद का आरोप लगता है और इस इल्जाम में गलत भी क्या है। शरीफ परिवार हो या पीपीपी के आसिफ जरदारी और बिलावल भुट्टो, सब अपने परिवार को ही विदेश लेकर जाते हैं। जरदारी खुद प्रेसीडेट बनें तो बेटी को फर्स्ट लेडी बनावाया। इससे लोगों में ये संदेश जाता है कि राजनीतिक पार्टियां अपने परिवारों को लिए काम कर रहे हैं।

कमर चीमा का कहना है कि जब राजनेताओं की छवि खराब होती है तो इसका फायदा आर्मी या फिर तानाशाह टाइप के लोगों को मिलता है। ये लोग जब अवाम से कहते हैं कि देखों येतो परवार के लिए काम कर रहे हैं और हम चीजें ठीक करेंगे तो कहीं ना कहीं लोगों को समझ आ जाता है। ऐसे में ये जरूरी है कि राजनेता इस तरह दिखें और काम करें कि उनमें लोगों का विश्वास बढ़े।

साभार : नवभारत टाइम्स

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