पटना. IRCTC से जुड़े लैंड फॉर जॉब स्कैम मामले में आरजेडी सुप्रीमो और पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव को सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है. शीर्ष अदालत ने ट्रायल पर रोक लागने की उनकी मांग को खारिज कर दिया है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पर रोक लगाने से इनकार करते हुए इस याचिका का निपटारा भी कर दिया. बता दें कि आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव से जुड़े इस मामले की सुनवाई लंबे समय से चल रही है. अब यह मामला ट्रायल कोर्ट से हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. हालांकि, शुक्रवार 18 जुलाई 2025 को लालू यादव को इस हाई-प्रोफाइल मामले में देश की सबसे बड़ी आदालत से जोरदार झटका लगा है. अब इस मामले में हाईकोर्ट को तत्काल और स्पीडी ट्रायल करना होगा.
जानकारी के अनुसार, लैंड फॉर जॉब स्कैम मामले में लालू प्रसाद यादव को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है. लालू यादव सुनवाई पर रोक लगाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस मामले पर शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को सुनवाई करते हुए बड़ा आदेश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने लालू यादव की याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को स्पीडी ट्रायल करने आदेश दे दिया. इस तरह आने वाले समय में लालू यादव की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं. शीर्ष अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा की गई टिप्पणी से केस के मेरिट पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
लैंड फॉर जॉब मामले में आरोपी पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव की मुश्किलें अब बढ़ सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने उनकी ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कि लिए 18 जुलाई की तिथि मुकर्र की थी. कोर्ट ने निर्धारित तिथि पर सुनवाई की और इस मामले में बड़ा आदेश दिया. इस हाई-प्रोफाइल मामले में आरोपियों की बात करें तो जांच एजेंसी सीबीआई की ओर से दायर अंतिम सप्लिमेंट्री चार्जशीट में 78 लोगों को आरोपी बनाया गया है. सीबीआई के मुताबिक, इनमें 38 कैंडिडेट्स के अलावा कुछ अधिकारी शामिल हैं.
CBI की तीसरी सप्लीमेंट्री चार्जशीट
सीबीआई ने 6 मार्च को इस मामले में तीसरी सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की थी. इसमें भोला यादव को आरोपी बनाया गया. सीबीआई द्वारा दाखिल पूरक आरोप पत्र में कहा गया है कि भोला यादव पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के सचिव रह चुके हैं. आरोप है कि भोला यादव ही सभी काम देखते थे. भोला यादव ही अधिकारियों को निर्देश देते थे. इस मामले में लालू प्रसाद यादव सहित उनके परिवार के पांच सदस्य आरोपी हैं.
सीबीआई का आरोप
सीबीआई का आरोप है कि ये अनियमितताएं साल 2004 से 2009 के बीच तब हुईं, जब लालू प्रसाद यादव केंद्रीय रेल मंत्री थे. इस अवधि के दौरान उम्मीदवारों की ओर से जमीन के बदले में या मामलूी कीमतों पर बिक्री के बदले रेलवे में नौकरी की पेशकश की गई. सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक डीपी सिंह ने अदालत में दलीलें दीं. उन्होंने यह भी बताया कि कैंडिडेट मुख्य रूप से बिहार से थे और उनके पास जमीन थी जो लालू प्रसाद याद और उनके परिवार के लिए फायदेमंद थी.
साभार : न्यूज18
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