नई दिल्ली (मा.स.स.). केंद्र सरकार के ध्यान में यह लाया गया है कि कई मामलों में लाभार्थी द्वारा बैंक खाता संख्या में बार-बार बदलाव करने और लाभार्थी द्वारा समय पर नए खाते की जानकारी नहीं देने के कारण संबंधित कार्यक्रम अधिकारी द्वारा नए खाता संख्या को अपडेट न करने की वजह से गंतव्य बैंक शाखा द्वारा मजदूरी भुगतान के कई लेनदेन अस्वीकार (पुराने खाता संख्या के कारण) किए जा रहे हैं। विभिन्न हितधारकों के परामर्श से यह पाया गया है कि ऐसी अस्वीकृतियों से बचा जा सकता है; डीबीटी के माध्यम से मजदूरी भुगतान करने के लिए एबीपीएस सबसे अच्छा मार्ग है। इससे लाभार्थियों को समय पर उनका वेतन भुगतान प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
योजना डेटाबेस में एक बार आधार अपडेट हो जाने के बाद, स्थान में परिवर्तन या बैंक खाता संख्या में परिवर्तन के कारण लाभार्थी को खाता संख्या अपडेट करने की आवश्यकता नहीं है। आधार नंबर से जुड़े अकाउंट नंबर में पैसा ट्रांसफर किया जाएगा। लाभार्थी के एक से अधिक खातों के मामले में, जो मनरेगा के संदर्भ में दुर्लभ है, लाभार्थी के पास खाते का चयन करने का विकल्प है। एनपीसीआई डेटा से पता चलता है कि डीबीटी के लिए आधार को जोड़ने/सक्षम होने पर 99.55 प्रतिशत या उससे अधिक की सीमा तक उच्च सफलता प्राप्त होती है। खाता आधारित भुगतान के मामले में यह सफलता लगभग 98 प्रतिशत है।
मनरेगा के तहत, एबीपीएस 2017 से उपयोग में है। प्रत्येक वयस्क आबादी के लिए आधार संख्या की लगभग सार्वभौमिक उपलब्धता के बाद, अब भारत सरकार ने योजना के तहत लाभार्थियों के लिए एबीपीएस का विस्तार करने का निर्णय लिया है। भुगतान केवल एबीपीएस के माध्यम से एबीपीएस से जुड़े खाते में आएगा, जिसका अर्थ है कि यह भुगतान हस्तांतरण का एक सुरक्षित और तेज़ तरीका है। कुल 14.28 करोड़ सक्रिय लाभार्थियों में से 13.75 करोड़ को आधार से जोड़ा जा चुका है। इन सीडेड (बैंक खाते से जोड़े गए) आधार के मुकाबले, कुल 12.17 करोड़ आधार प्रमाणित किए गए हैं और 77.81 प्रतिशत अब एबीपीएस के लिए पात्र हैं। मई 2023 माह में लगभग 88 प्रतिशत मजदूरी का भुगतान एबीपीएस के माध्यम से किया जा चुका है।
यूआईडीएआई के अनुसार, 98 प्रतिशत से अधिक वयस्क आबादी के पास आधार संख्या है। यदि किसी व्यक्ति को आधार संख्या की आवश्यकता है, तो वह उपयुक्त एजेंसी या नजदीकी आधार केंद्र पर जाकर प्राप्त कर सकता है। राज्यों से अनुरोध किया गया है कि वे शिविरों का आयोजन करें और शत प्रतिशत एबीपीएस हासिल करने के लिए लाभार्थियों से संपर्क करें। मंत्रालय ने सभी राज्यों को स्पष्ट कर दिया है कि काम के लिए आने वाले लाभार्थी से आधार संख्या उपलब्ध कराने का अनुरोध किया जाए, लेकिन आधार कार्ड न होने पर काम देने से इनकार नहीं किया जाएगा।
यदि कोई लाभार्थी काम की मांग नहीं करता है, तो ऐसे मामले में एबीपीएस के लिए पात्रता के बारे में उसकी स्थिति काम की मांग को प्रभावित नहीं करती है। जॉब कार्ड को इस आधार पर नहीं हटाया जा सकता है कि कर्मी एबीपीएस के लिए पात्र नहीं है। मनरेगा एक मांग संचालित योजना है और विभिन्न आर्थिक कारकों से प्रभावित है। एबीपीएस के लिए उचित इकोसिस्टम मौजूद है। लाभार्थियों के लिए एबीपीएस के लाभों को ध्यान में रखते हुए भुगतान के लिए पालन की जाने वाली यह सबसे अच्छी प्रणाली है।
आधार आधारित भुगतान प्रणाली और कुछ नहीं बल्कि एक मार्ग है, जिसके माध्यम से लाभार्थियों के खाते में भुगतान जमा किया जा रहा है। इस प्रणाली में अपनाए गए कदम अच्छी तरह से परिभाषित हैं और लाभार्थियों, फील्ड कार्यकर्ताओं और अन्य सभी हितधारकों की भूमिका स्पष्ट रूप से परिभाषित है। एबीपीएस वास्तविक लाभार्थियों को उनका देय भुगतान प्राप्त करने में मदद कर रहा है और फर्जी लाभार्थियों को बाहर कर भ्रष्टाचार को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। महात्मा गांधी नरेगा ने आधार-सक्षम भुगतान को नहीं अपनाया है। इस योजना ने आधार आधारित भुगतान ब्रिज प्रणाली को चुना है।
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