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पशुपालन भी बन सकता है किसानों की एक बड़ी आय का जरिया : धर्मपाल सिंह

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लखनऊ (मा.स.स.). उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक दुग्ध उत्पादन करने वाले 145 दुग्ध उत्पादकों को पुरस्कृत किया गया। प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री  धर्मपाल सिंह ने आज इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित समारोह में वर्ष 2020-21 के 53 एवं वर्ष 2021-22 के 59 दुग्ध उत्पादकों को गोकुल पुरस्कार और वर्ष 2021-22 के 33 जनपद स्तरीय दुग्ध उत्पादकों को नन्दबाबा पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर पराग की ब्रान्डिंग हेतु टी-शर्ट एवं कप का अनावरण भी किया गया। साथ ही पीसीडीएफ द्वारा पराग ब्रांड के दुग्ध एवं दुग्ध उत्पादों को पूरे प्रदेश में उपभोक्ताओं तक आर्डर डिलीवरी करने वाले 05 पराग मित्रों को प्रचार-प्रसार सामग्री भी वितरित की गई।

गोकुल पुरस्कार के अंतर्गत लखीमपुर-खीरी जनपद निवासी एवं वेलवा मोती समिति के  वरूण सिंह को प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया। बदायूं के रहने वाले कुऑं डांडा दुग्ध समिति के  हरविलास सिंह को द्वितीय पुरस्कार मिला है। इन दोनों दुग्ध उत्पादकों को वर्ष 2020-21 एवं वर्ष 2021-22 में सर्वाधिक दुग्ध उत्पादन के लिए सम्मानित किया गया। नंदबाबा पुरस्कार के तहत मथुरा निवासी भूड़ासानी दुग्ध समिति के हरेन्द्र सिंह को राज्य स्तरीय पुरस्कार प्रदान किया गया। इस अवसर पर  धर्मपाल सिंह ने कहा कि पुरस्कार एक विधा है और हमारी प्राचीन सभ्यता का हिस्सा भी है। गाय ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक स्वावलंबन का आधार हैं। देसी गायों के नस्ल के संरक्षण को प्रोत्साहित किया जा रहा है। ब्रीड़िग में बदलाव कर दो किलो दूध देने वाली देसी गाय 20 किलो दूध देगी, ऐसा प्रयास बरेली में किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पराग में पशुपालकों के सहयोग की बहुत आवश्यकता है। सरकार दुग्ध उत्पादकों को समयबद्ध भुगतान सुनिश्चित करायेगी।

सिंह ने कहा कि प्रदेश में दुग्ध सहकारिता के माध्यम से पशुपालन एवं दुग्ध व्यवसाय को कृषि के सहयोगी व्यवसाय के रुप में अपनाया जा रहा है। इसमें 70 से 80 प्रतिशत भूमिहीन, लघु एवं सीमान्त कृषकों की सहभागिता है। वर्तमान में दुग्ध व्यवसाय शहरी एवं ग्रामीण स्तर पर स्वरोजगार का सशक्त माध्यम बन चुका है। यह किसानों और पशुपालकों  की आय दोगुना करने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में अपनी बड़ी भूमिका का निर्वहन कर रहा है।  सिंह ने सभी विजेताओं को बधाई दी और कहा कि 33 महिला लाभार्थियों को पुरस्कार प्राप्त हुआ है जो दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में महिलाओ की भागीदारी का एक सशक्त उदाहरण है। उन्होंने कहा कि दूध प्रोसेसिंग की कमियों को दूर करने, किसानों को प्रशिक्षण देने एवं दुग्ध उत्पादन में नई तकनीक व नई जानकारी देने का कार्य विभाग द्वारा किया जा रहा है, जिससे प्रति पशु दुग्ध उत्पादकता में वृद्धि होगी।

अपर मुख्य सचिव, पशुधन एवं दुग्ध विकास, डा0 रजनीश दूबे ने कहा कि उत्तर प्रदेश दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में देश में प्रथम स्थान पर है और प्रति पशु उत्पादकता को बढ़ाने की दिशा में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। दुग्ध उत्पादकों के हित में प्रदेश सरकार द्वारा विभिन्न कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं, जिसमें क्रत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम का लाभ तथा तकनीकी निवेश की सुविधा दुग्ध उत्पादकों को उनके द्वार पर ही उपलब्ध करायी जा रही है तथा पशु प्रजनन, पोषण एवं प्रबन्धन का प्रशिक्षण भी उपलब्ध कराया जा रहा है। मोबाइल बेटनरी यूनिट द्वारा पशुओं की त्वरित चिकित्सा की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। अपर मुख्य सचिव ने कहा कि दुग्ध विकास विभाग को 33 हजार करोड़ रूपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। उ0प्र0 दुग्धशाला विकास एवं दुग्ध उत्पाद प्रोत्साहित नीति-2022 के अंतर्गत प्रदेश में स्थापित होने वाले दुग्ध उद्योग की इकाईयों को वित्तीय अनुदान, रियायतें एवं अन्य सुविधायें प्रदान की जा रही हैं, जिससे प्रदेश का दुग्ध विकास कार्यक्रम नित नवीन उचाईयों को प्राप्त कर सकेगा।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में सहकारिता के माध्यम से दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2001-02 में प्रदेश सरकार द्वारा गोकुल पुरस्कार वितरण की व्यवस्था को प्रारम्भ किया गया था। इसके अन्तर्गत प्रत्येक जिले में सर्वाधिक दुग्ध उत्पादन करने वाले एक दुग्ध उत्पादक को नकद पुरस्कार के साथ पीतल धातु पर गाय के साथ दूध पीता हुआ बछड़ा व कृष्ण की मूर्ति प्रतीक चिन्ह के रूप में प्रदान की जाती है जिसमें प्रदेश स्तर पर प्रथम स्थान पाने वाले रू0 2.00 लाख, द्वितीय पुरस्कार रू0 1.50 लाख एवं जिला स्तर पर रू0 51000 की पुरस्कार धनराशि प्रदान की जाती है। अत्यन्त हर्ष का विषय है कि आज के इस कार्यक्रम मे वित्तीय वर्ष 2020-21 के 53 लाभार्थियो को एवं वित्तीय वर्ष 2021-22 के 59 लाभार्थियों को गोकुल पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है।

वर्ष 2018 से भारतीय गोवंश की गाय के दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में सर्वाधिक दूध, दुग्ध समिति को देने वाले दुग्ध उत्पादक को राज्य स्तरीय, जनपद में जिला स्तरीय एवं विकास खण्ड में विकास खण्ड स्तरीय नन्दबाबा पुरस्कार का शुभारम्भ किया गया है जिसमें पीतल की धातु से निर्मित भारतीय गोवंश की गाय के साथ दूध पीता हुआ बछडा व नन्दबाबा की मूर्ति प्रतीक चिन्ह एवं प्रमाण पत्र के साथ ही विकास खण्ड स्तर पर  5100 रुपये, जनपद स्तर पर  21000 रुपये एवं राज्य स्तर पर 51000 रुपये की धनराशि प्रदान की जाती है। इस अवसर पर दुग्ध आयुक्त,  शशि भूषण लाल सुशील, पी0सी0डी0एफ0 के प्रबन्ध निदेशक,  कुणाल सिल्कू, विशेष सचिव दुग्ध विकास विभाग  राम सहाय यादव, अध्यक्ष दुग्ध संघ लखनऊ मण्डल मती शिखा सिंह तोमर, महाप्रबंधक लखनऊ दुग्ध संघ डॉ0 मोहन स्वरूप, दुग्ध संघों के निर्वाचित अध्यक्षगण एवं दुग्ध संघो के अधिकारी व कर्मचारी भी उपस्थित थे।

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