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ससुराल पहुंच कर पहले पत्नी को पीटा, फिर दिया तीन तलाक

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जयपुर. सुप्रीम कोर्ट ने भले ही तीन तलाक को गैरकानूनी घोषित कर दिया लेकिन तीन तलाक के मामले फिलहाल थमे नहीं है। प्रदेश के अलग अलग इलाकों में आए दिन तीन तलाक के केस सामने आते हैं। जयपुर शहर में एक महीने में तीन तलाक का दूसरा मामला सामने आया है। ताजा मामला रामगंज थाना क्षेत्र का है, जहां एक विवाहिता ने अपने पति के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। पीड़िता का आरोप है उसका शौहर पिछले कई दिनों से उसके साथ मारपीट करता आ रहा है। परेशान होकर वह पीहर में आ गई। पिछले दिनों वह पीहर में आकर परिवार वालों की मौजूदगी में मारपीट की। बाद में तीन तलाक बोलकर भाग गया।

दहेज की मांग को लेकर टॉर्चर करने का आरोप

पीड़िता का कहना है कि 10 साल पहले वर्ष 2014 में उसका निकाह हुआ था। निकाह के कुछ दिन बाद ही शौहर ने दहेज की मांग करते हुए प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। ससुराल में उसे मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान किया जाने लगा। लगातार कई सालों तक परेशान करने के बाद पीड़िता और उसके दोनों बच्चों को घर से निकाल दिया गया। पीड़िता अपने पिता के घर आकर रहने लगी। परेशान पीड़िता ने घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज कराई। शिकायत दर्ज कराने के बाद समझौता के बहाने 29 जनवरी को उसके घर पर मीटिंग रखी गई थी।

गला दबाकर मारने का प्रयास भी किया

रामगंज थाने में दर्ज कराई गई रिपोर्ट के मुताबिक 29 जनवरी को जब पीड़िता के घर समझौते को लेकर बैठक हुई। तब बैठक में उसका पति भी आया था। बैठक में बातचीत शुरू होने के दौरान ही पति ने पत्नी के साथ मारपीट करना शुरू कर दिया। पीड़िता के मुताबिक परिवार वालों के सामने मारपीट करने के साथ गला दबाकर मारने का प्रयास भी किया। परिवार वालों ने बड़ी मुश्किल से पीड़िता को बचाया। इस दौरान पति विवाहिता को तीन तलाक बोलकर चला गया।

तीन साल की सजा का प्रावधान

वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ ने अपने फैसले में ट्रिपल तलाक को असंवैधानिक घोषित कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने 1400 साल पुरानी प्रथा को असंवैधानिक करार दिया और केंद्र सरकार से कानून बनाने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र सरकार ने कानून बनाते हुए एक साथ तीन बार तलाक बोलकर या लिखकर निकाह खत्म करने को अपराध की श्रेणी में लाया था। इस अपराध के लिए अधिकतम तीन साल कैद की सजा का प्रावधान किया गया। हालांकि इस कानून को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल हुई।

साभार : नवभारत टाइम्स

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