नई दिल्ली. इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी देने से जुड़े केस में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने करीब 40 मिनट में फैसला सुना दिया। SBI ने कोर्ट से कहा- बॉन्ड से जुड़ी जानकारी देने में हमें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन इसके लिए कुछ समय चाहिए। इस पर CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा- पिछली सुनवाई (15 फरवरी) से अब तक 26 दिनों में आपने क्या किया?
करीब 40 मिनट की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा- SBI 12 मार्च तक सारी जानकारी का खुलासा करे। इलेक्शन कमीशन सारी जानकारी को इकट्ठा कर 15 मार्च शाम 5 बजे तक इसे वेबसाइट पर पब्लिश करे।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने 15 फरवरी को इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री पर रोक लगा दी थी। साथ ही SBI को 12 अप्रैल 2019 से अब तक खरीदे गए इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी 6 मार्च तक इलेक्शन कमीशन को देने का निर्देश दिया था।
4 मार्च को SBI ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर इसकी जानकारी देने के लिए 30 जून तक का वक्त मांगा था। इसके अलावा कोर्ट एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की उस याचिका पर भी सुनवाई की, जिसमें 6 मार्च तक जानकारी नहीं देने पर SBI के खिलाफ अवमानना का केस चलाने की मांग की गई थी।
SBI: सीनियर वकील हरीश साल्वे ने कहा कि मैं स्टेट बैंक की ओर से आया हूं। हमें आपके आदेश को पूरा करने के लिए कुछ और वक्त चाहिए। SBI ने इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने बंद कर दिए हैं।
SBI: हमारे सामने एक समस्या आ रही है, हम पूरी प्रक्रिया को पलटने की कोशिश कर रहे हैं। SOP बनाई गई थी कि हमारे कोर बैंकिंग सिस्टम में बॉन्ड खरीदने वाले का नाम ना हो। हमें कहा गया था कि इसे गुप्त रखना है।
CJI: आपकी एप्लिकेशन देखिए। आप कह रहे हैं कि डोनर की डिटेल संबंधित ब्रांच में सीलबंद लिफाफे में होती है। ऐसे सभी सील कवर डिपॉजिट मुंबई की मुख्य शाखा में भेज दिए जाते हैं और दूसरी तरफ 29 अधिकृत बैंकों से डोनेशन हासिल कर सकते हैं।
CJI: आप कह रहे हैं कि डोनेशन देने वाले और पॉलिटिकल पार्टी, दोनों के डिटेल्स मुंबई ब्रांच में भेजी जाती है। यानी दो तरह की जानकारियां हैं। आप कह रहे हैं कि इन सूचनाओं का मिलान करना वक्त लेने वाली प्रक्रिया है। हमारे आदेश में हमने सूचनाओं के मिलान की बात नहीं कही है। हमने सूचनाओं को जाहिर करने की बात कही है।
SBI: जब बॉन्ड खरीदे जाते हैं तो हम जानकारी बांट देते हैं।
CJI: लेकिन आखिकार सारी जानकारी मुंबई की मुख्य शाखा में भेजे जाते हैं।
SBI: केवल बॉन्ड नंबर ही स्पष्ट रहता है। बॉन्ड नंबर का इस्तेमाल ही आगे खरीद के लिए होता है। और ऐसा इसलिए किया जाता है कि ऐसी चर्चाएं ना उठें कि इन-इन लोगों ने बॉन्ड खरीदे हैं।
CJI: आपके FAQs भी बताते हैं कि हर खरीद के लिए अलग KYC होती है। यानी जब-जब इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदा जाता है, KYC जरूरी होती है।
जस्टिस खन्ना: आप कहते हैं कि सारी जानकारी एक सीलबंद लिफाफे में होती है। आपको सिर्फ लिफाफा खोलना है और जानकारी दे देनी है।
SBI: मेरे पास यह पूरी जानकारी है कि बॉन्ड किसने खरीदे हैं। यह एक जगह है। एक और जानकारी है कि किस राजनीतिक दल ने बॉन्ड कैश किया। यह कोई समस्या नहीं है।
CJI: हमने 15 फरवरी को फैसला दिया था। आज 11 मार्च हो गई है। पिछले 26 दिनों में आपने क्या कदम उठाए हैं। कुछ भी नहीं बताया गया है। आपको जानकारी देनी चाहिए। आपको स्पष्टता दिखानी थी।
SBI: हम एफिडेविट दे सकते हैं, लेकिन हम आपको नंबर्स की जानकारी देने की जल्दबाजी में गलती नहीं कर सकते। यही समस्या है।
जस्टिस खन्ना: आप कह रहे हैं कि डोनर और किस पार्टी को डोनेशन दिया गया है, ये जानकारी आप दे सकते हैं। आपकी समस्या सिर्फ दोनों जानकारियों का मिलान करना है। 26 दिन बीत गए। कुछ तो हुआ होगा। ये भी बताया गया है कि इन बॉन्ड्स के कुछ नंबर हैं।
SBI: ये नंबर गुप्त रखे गए हैं। इन्हें सामने रखने के लिए हर ट्रांजैक्शन को ट्रेस करने की जरूरत होगी।
CJI: ECI ने हमारे आदेश का पालन करते हुए, हमें डिटेल्स दीं। रजिस्ट्री ने इसे सुरक्षित जगह रखा। हम उन्हें इसे तुरंत खोलने का आदेश देते हैं। हम ECI से कहेंगे कि जो भी जानकारी है, उसे सामने लाइए और SBI भी जो कुछ उसके पास हो, उसे प्रकाशित करें।
CJI: हम चुनाव आयोग (ECI) को निर्देश देते हैं कि जानकारियों का खुलासा कीजिए। मिस्टर साल्वे आप भी आदेशों का पालन करें।
SBI: हम कोई गलती करके कोई हंगामा नहीं मचाना चाहते हैं।
जस्टिस खन्ना: यहां किसी गलती का सवाल ही नहीं है। आपके पास KYC है। आप देश के नंबर एक बैंक हैं। हम मानते हैं कि आप यह संभाल लेंगे।
CJI: एक बैंक का असिस्टेंट जनरल मैनेजर एक एफिडेविट फाइल करेगा और इस कोर्ट की संविधान पीठ से कहेगा कि अपने आदेश में बदलाव करिए!
SBI: वही व्यक्ति है, जिसे यह करना है। कृपया हमें थोड़ा सा वक्त दीजिए, हम यह कर देंगे। अगर बॉन्ड खरीद और डोनेशन पाने वाली पार्टियों का मिलान नहीं करना है तो हम 3 हफ्ते में सब कुछ दे देंगे।
जस्टिस गवई: आपको 3 हफ्ते किसलिए चाहिए?
जस्टिस खन्ना: राजनीतिक दलों ने पहले ही डोनेशन के बारे में जानकारी दे दी है। बॉन्ड खरीदने वालों की भी जानकारी मौजूद है।
कोर्ट ने फैसला सुनाया: करीब 40 मिनट के बाद कोर्ट ने फैसला लिखना शुरू किया। कोर्ट ने SBI को 12 मार्च तक इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी देने का आदेश देते हुए 30 जून तक समय देने वाली याचिका खारिज कर दी। इसके अलावा चुनाव आयोग से कहा कि वे सारी जानकारी इकट्ठा कर 15 मार्च शाम 5 बजे तक वेबसाइट पर पब्लिश करें।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर किसने क्या कहा
याचिकाकर्ता जया ठाकुर: सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को समझा और SBI को कल तक सभी दस्तावेज जमा करने के निर्देश दिए। यह बहुत अच्छा फैसला है, मैं इसका स्वागत करती हूं।
CPI-M महासचिव सीताराम येचुरी: सुप्रीम कोर्ट ने SBI की याचिका खारीज कर दी। हम इसका स्वागत करते हैं। यह पॉलिटिकल फंडिंग की पारदर्शिता के हित में है। खासकर देश और विशेषकर चुनावी फंडिंग के लिए।
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा: हम सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले का स्वागत करते हैं। पूरा देश हैरान है कि बीजेपी जनता के बीच जानकारी देने से क्यों डरती है। लोगों को यह जानने का अधिकार है कि किस कंपनी ने किस राजनीतिक दल को कितनी फंडिंग की।
साभार : दैनिक जागरण
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