नई दिल्ली. दिल्ली के साकेत कोर्ट के लॉकअप नंबर 5 में गुरुवार को दो पक्षों की बीच मारपीट हो गई, जिसमें एक 24 साल के कैदी की मौत हो गई। दिल्ली के गोविंदपुरी निवासी अमन पुत्र धर्मेंद्र को एक पुराने मामले में कोर्ट लाया गया था, तभी दो अन्य कैदियों जीतेंद्र पुत्र जगदीश और जयदेव पुत्र लालचंद ने अमन पर हमला कर दिया। इस हमले में अमन बुरी तरह से घायल हो गया। घायल अवस्था में उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उसने दम तोड़ दिया।
पुरानी रंजिश बताई जा रही है वजह
इस हमले की वजह अमन और जीतेंद्र के बीच पुरानी दुश्मनी बताई जा रही है। साल 2024 में, जब दोनों जेल से बाहर थे, तब अमन ने कथित तौर पर जीतेंद्र और उसके भाई पर चाकू से हमला किया था। उसी रंजिश ने लॉकअप में इस खूनी झड़प को जन्म दिया। मृतक अमन और दोनों आरोपी तिहाड़ जेल के कैदी बताए जा रहे हैं, जिन्हें एक मामले की सुनवाई में कोर्ट लाया गया था। दिल्ली पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है और जीतेंद्र व जयदेव के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी है। इस घटना ने साकेत कोर्ट के लॉकअप की सुरक्षा पर सवाल उठा दिए हैं।
पुलिस ने शुरू की जांच
पुलिस ने बताया कि घटना की जानकारी होते ही साकेत कोर्ट परिसर में सुरक्षाकर्मियों ने स्थिति को कंट्रोल किया। इसके साथ ही शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है। वहीं, दोनों कैदियों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी गई है। दिल्ली पुलिस ने मामले को दर्ज कर लिया है और जांच शुरू कर दी है।
पहले भी साकेत कोर्ट में हो चुकी हैं घटनाएं
इसके पहले भी 21 अप्रैल 2023 में साकेत कोर्ट परिसर में दिनदहाड़े गोलीबारी हुई थी। वहीं, 9 जुलाई 2019 साकेत कोर्ट की पांचवीं मंजिल से एक कैदी, तय्यब, ने भागने की कोशिश में छलांग लगा दी, जिससे उसकी मृत्यु हो गई। वह स्नैचिंग के मामले में पुलिस हिरासत में था और कोर्ट में पेशी के लिए लाया गया था।
पुलिस की लापरवाही से हुई घटना: वीरेंद्र कसाना
इस घटना को लेकर पटियाला हाउस कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व सचिव वीरेंद्र कसाना ने पुलिस की लापरवाही पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। वीरेंद्र कसाना ने कहा कि ‘बताया जा रहा है कि दो विचाराधीन कैदियों ने एक अन्य अमन नाम के विचाराधीन कैदी पर हमला किया, जिससे उसकी मौत हो गई। हमलावरों और मृतक के बीच पुरानी रंजिश थी, जो इस हमले का कारण बनी। सवाल यह है कि जब लॉकअप के अंदर ही हत्या हो रही है तो पुलिस की विफलता कहां रही? पुलिस को यह जानकारी होनी चाहिए थी कि जिन आरोपियों के बीच पुरानी दुश्मनी है, उन्हें एक साथ वैन या लॉकअप में नहीं रखा जाना चाहिए था।’
उन्होंने आगे कहा कि ‘यह बात तो तिहाड़ जैसे जेलों में भी ध्यान में रखी जाती है कि आपस में दुश्मनी रखने वाले गैंग के आरोपियों को अलग-अलग रखा जाए, ताकि ऐसी घटनाएं रोकी जा सकें। पुलिस को इसकी पूरी जिम्मेदारी लेनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आपसी दुश्मनी रखने वाले आरोपियों को कभी एक जगह न रखा जाए, जिससे भविष्य में ऐसी हिंसक घटनाएं रोकी जा सकें।’
साभार : न्यूज24
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