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राजनाथ सिंह ने किए भारत डायनैमिक्स लिमिटेड के नए विनिर्माण सुविधा केंद्र राष्ट्र को समर्पित

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हैदाबाद (मा.स.स.). रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तेलंगाना में भारत डायनैमिक्स लिमिटेड (बीडीएल) की भानुर इकाई का दौरा किया और रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (डीपीएसयू) द्वारा स्थापित नए विनिर्माण सुविधा केंद्रों को राष्ट्र को समर्पित किया। इनमें भानुर इकाई में एक वॉरहेड फैसिलिटी तथा कंचनबाग इकाई में एक रेडियो फ्रीक्वेंसी (आरएफ) सीकर फैसिलिटी शामिल हैं।

शोधकर्ताओं, इंजीनियरों, तकनीविदों तथा बीडीएल के अन्य कार्मिकों को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने इन विनिर्माण सुविधा केंद्रों के उद्घाटन को रक्षा क्षेत्र को सुदृढ़ बनाने तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के मार्ग को प्राप्‍त करने की दिशा में डीपीएसयू की प्रतिबद्धता का एक प्रमाण बताया। उन्होंने ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्‍ड विजन की तर्ज पर विदेशी कंपनियों के सहयोग से स्वदेशी रूप से उत्पादों के विनिर्माण के द्वारा आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में एक सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने के लिए बीडीएल की भी सराहना की। उन्होंने अगले पांच वर्षों के लिए एक स्वदेशीकरण योजना तैयार करने तथा पहले दो वर्षों के टार्गेट को सफलतापूर्वक अर्जित करने के लिए कंपनी को बधाई दी।

आरएफ सीकर फैसिलिटी, जिसका उद्घाटन रक्षा मंत्री ने वर्चुअल रूप से किया था, आरएफ सीकर के उत्पादन तथा परीक्षण के लिए एक समेकित केंद्र है। सीकर एक महत्वपूर्ण तथा प्रौद्योगिकी केंद्रित सबसिस्टम है जिसका उपयोग टार्गेट ट्रैकिंग के लिए भविष्य के सभी मिसाइलों में किया जाएगा। इस सुविधा केंद्र की स्थापना बीडीएल द्वारा 50 करोड़ रुपये की लागत से की गई है। राजनाथ सिंह ने बीडीएल को सीकर का उत्पादन करने की क्षमता रखने वाली विश्व भर की चुनिंदा कंपनियों के एलीट क्लब में शामिल होने पर बधाई दी। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह सुविधा केंद्र मिसाइल उत्पादन के क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ अर्जित करने में बड़ी भूमिका का निर्वाह करेगा। राजनाथ सिंह ने विश्वास जताया कि वॉरहेड सुविधा केंद्र भविष्योन्मुखी वॉरहेड के विनिर्माण के दायरे में विविधता लाएगा और भारत को इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगा। इस सुविधा केंद्र के उद्घाटन के साथ, बीडीएल ने आत्मनिर्भरता की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ा दिया है क्योंकि सुविधा केंद्र का उपयोग इसके वर्तमान तथा भविष्योन्मुखी मिसाइलों दोनों के लिए किया जाएगा।

प्रौद्योगिकी के निरंतर विकसित होते स्वरूप तथा बदलते समय में युद्धकला में इसके बढ़ते महत्व पर अपने विचार साझा करते हुए, रक्षा मंत्री ने स्वदेशी क्षमताओं के साथ तकनीकी मोर्चे पर अप-टू-डेट बने रहने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने सभी रक्षा उपकरण हितधारकों- सशस्त्र बलों, वैज्ञानिकों, शिक्षाविद तथा उद्योग- को निरंतर विकसित होने वाली स्थिति के अनुकूल उत्पादों/प्रणालियों को विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने प्रौद्योगिकी पूर्वानुमान को सुदृढ़ बनाने तथा अत्याधुनिक विनिर्माण और परीक्षण क्षमताओं में निवेश करने पर जोर दिया और कहा कि आरएफ सीकर फैसिलिटी तथा वॉरहेड फैसिलिटी का उद्घाटन उसी दिशा में एक सही कदम है। रक्षा मंत्री ने ‘नो-हाउ‘ से ‘नो-व्हाई’ की तरफ बढ़ते हुए रक्षा विनिर्माण संगठनों तथा शैक्षणिक संस्थानों के बीच एक दीर्घकालिक साझीदारी विकसित करने के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि दीर्घकालिक सहयोग शिक्षा क्षेत्र को कोर प्रौद्योगिकीय समस्याओं पर काम करने तथा अनुसंधान एवं विकास संस्थानों को ‘सैद्धांतिक विश्लेषण’  से ‘वास्तविक उत्पादों में रूपांतरण’ की ओर बढ़ने में सहायता करेगा। उन्होंने कहा कि यह दोनों के लिए ही लाभ की स्थिति होगी तथा देश के रक्षा परितंत्र को बढ़ावा देगी।

राजनाथ सिंह ने तीसरी पीढ़ी टैंक-रोधी गाइडेड मिसाइल, अमोघ के अनुसंधान एवं विकास पर काम करने के लिए बीडीएल की सराहना की। उन्होंने कहा कि डीपीएसयू 1980 के दशक में भारत के मिसाइल मैन तथा पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के तहत आरंभ किए गए इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘इस कार्यक्रम ने मिसाइल विकास के क्षेत्र में विदेशों पर हमारी निर्भरता कम कर दी तथा आत्मनिर्भरता के बीज बो दिए। डॉ. कलाम ने एक बार कहा था, ‘इस दुनिया में, डर का कोई स्थान नहीं है। केवल ताकत ही ताकत को सम्मान देती है। ‘बीडीएल डॉ. कलाम के सपनों को साकार करने की दिशा में समर्पण और कड़ी मेहनत के साथ काम कर रही है।

रक्षा मंत्री ने सशस्त्र बलों की आवश्यकताओं की पूर्ति करने में बीडीएल द्वारा निभाई जा रही अहम भूमिका की सराहना की तथा इस उपलब्धि को इस बात का प्रमाण बताया कि सेना नियमित रूप से स्वदेशी प्रणालियों को शामिल करती रहेगी। उन्होंने कहा कि बीडीएल के विभिन्न मदों को हाल ही में जारी तीन सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची में जगह मिली है जो त्वरित डिलीवरी सुनिश्चित करने के अतिरिक्त कंपनी की क्षमताओं में भी वृद्धि करेगी।

रक्षा क्षेत्र में बाधाओं को दूर करने तथा रूपांतकरकारी सुधार लाने के लिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता को व्यक्त करते हुए, राजनाथ सिंह ने जोर देकर कहा कि सशस्त्र बलों को चुस्त, फिट, आधुनिक और विश्व स्तरीय रक्षा सेवा बनाना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने अग्निपथ स्कीम को देश, सशस्त्र बलों तथा युवाओं के हित में एक क्रांतिकारी सुधार बताया। उन्होंने कहा, ‘‘हमने कई देशों की रक्षा प्रणालियों का अध्ययन किया तथा इन निष्कर्षों को अपनी जमीनी सच्चाइयों के साथ जोड़कर अपनी योजना को अंतिम रूप दिया। भारतीय वायु सेना को अग्निपथ स्कीम के तहत बड़ी संख्या में आवेदन प्राप्त हुए हैं। अन्य सेनाओं में भी इसी प्रकार की प्रतिक्रिया अपेक्षित है। हमारे युवाओं को आगे आना चाहिए तथा देश की सेवा करने के इस सुनहरे अवसर का लाभ उठाना चाहिए।”

राजनाथ सिंह ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद का सृजन, सैन्य मामलों के विभाग की स्थापना, रक्षा उत्पादन में निजी क्षेत्र की सहभागिता बढ़ाना तथा इनोवेशन फॉर डिफेस एक्सेलेंस (आईडीईएक्स) लांच करने जैसे कुछ अन्य सुधारों की भी चर्चा की। उन्होंने सभी हितधारकों से अपनी तैयारी बढ़ाने, अनुसंधान एवं विकास में और अधिक निवेश करने तथा अंतरराष्ट्रीय बाजार की खोज कर इसमें विस्तार करने की अपील की। उन्होंने इस प्रयास में बीडीएल को रक्षा मंत्रालय का पूरा सहयोग देने का भरोसा दिलाया। इस अवसर पर, बीडीएल की विशाखापट्टनम इकाई में एक सेंट्रल स्टोरेज सुविधा केंद्र का भी राजनाथ सिंह द्वारा वर्चुअल माध्‍यम से उद्घाटन किया गया। यह अत्याधुनिक सुविधा केंद्र वर्टिकल कैरोसेल सिस्टम, मैकेनिकल कौम्पैक्टर तथा मोटोराइज्ड कौम्पैक्टर से निर्मित्त आधुनिक भंडारण प्रणाली से सुसज्जित है जो इकाई की समस्त स्टोरेज आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकता है। इस फैसिलिटी का निर्माण 4.90 करोड़़ रुपये की लागत से किया गया है।

रक्षा मंत्री ने बीडीएल द्वारा अपने कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी पहलों के हिस्से के रूप में पश्चिमी गोदावरी जिले के सैन्य माधवरम गांव में निर्मित्त बुनियादी सुविधाओं  (बहुद्देशीय सामुदायिक हॉल, जिम्नाजियम, सरकारी कनिष्ठ महाविद्यालय में विज्ञान प्रयोगशालाएं, जिला परिषद स्कूल में नौ अतिरिक्त क्लास रूम, प्राथमिक विद्यालय में दो अतिरिक्त क्लास रूम  का भी वर्चुअल माध्‍यम से उद्घाटन किया। तेडेपलिगुडम के निकट स्थित माधवरम गांव का लोकप्रिय नाम  ‘सैन्य माधवरम’ भी है क्योंकि यहां सशस्त्र बलों में शामिल होने वालों की एक बड़ी संख्या है। एक डीपीएसयू होने के नाते, बीडीएल ने इस गांव को अपने सीएसआर के एक हिस्से के रूप में गोद लिया है और 4.5 करोड़ रुपये की लागत से बुनियादी ढांचे का निर्माण किया है। राजनाथ सिंह ने बीडीएल परिसर में महात्मा गांधी की एक प्रतिमा का अनावरण किया। इस अवसर पर बीडीएल के सीएमडी कमोडोर सिद्धार्थ मिश्रा (सेवा निवृत्त) तथा रक्षा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ सिविल तथा सैन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।

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