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गर्व के साथ आकाश छू रही भारतीय वायुसेना

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– डॉ घनश्याम बादल

 भले ही भावनात्मक रूप से कहा जाए कि हर भारतीय देश की ताकत है एवं अपने देश की अस्मिता एवं सम्मान के लिए मर मिटने को तैयार रहता है लेकिन यथार्थ के धरातल पर देखें तो किसी भी देश की सामरिक शक्ति उसकी सबसे बड़ी शक्ति होती है । सेना के तीन अंगों में थल सेना, जल सेना एवं वायु सेना देश की सीमाओं की रक्षा करती हैं और इन तीनों का आपस में समन्वयन ही देश की ताकत होता है । जहां थल सेना मिलिट्री के रूप में सीमाओं की रक्षा करती है वही समुद्री सीमाओं की रक्षा का जिम्मा जल सेना का होता है और आकाशीय सीमाओं पर दुश्मन को मात देने या दूसरे देश में जाकर हवाई हमले करने का जिम्मा होता है वायु सेना का । इस प्रकार कह सकते हैं कि वायु सेना किसी भी देश की सबसे बड़ी ताकत के रूप में मानी जा सकती है क्योंकि युद्ध के समय यह न केवल बाहरी हमले से रक्षा करती है अपितु देश की हर एवं जलसेना को आकाश में रहकर एक सुरक्षा कवच भी प्रदान करती है जिससे यह दोनों सेनाएं न केवल सीमाओं की रक्षा करती हैं अपितु राष्ट्र की सीमाओं से बाहर निकल कर हमला करने में भी कामयाब होती है।

भारतीय वायु सेना आज विश्व की चौथी सबसे बड़ी एवं सक्षम वायु सेना मानी जाती है आज इस वायु सेना का 91 वां स्थापना दिवस है।भारतीय वायुसेना की स्थापना 8 अक्टूबर, 1932 को औपनिवेशिक शासन के अधीन अविभाजित भारत में  की गई। भारत की वायुसेना द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल हुई, जिसके लिए किंग जार्ज षष्ठम् ने सेना को ‘रायल’ प्रीफिक्स से नवाजा था। देश की आजादी के बाद जब भारत गणतंत्र राष्ट्र बना तो प्रीफिक्स को हटा दिया गया। आजादी से पहले ‘रॉयल इंडियन एयर फोर्स’ के नाम से जाने जाने वाली इस सेना को स्वाधीनता के बाद ‘इंडियन एयर फोर्स’ यानी आई ए एफ  और हिंदी में कहें तो भारतीय वायु सेना के नाम से जाना जाता है। भारतीय वायु सेना के प्रथम कमांडर इन चीफ एयर मार्शल सर थामस वाकर एलमहर्स्ट थे जो 15 अगस्त 1947 से 22फरवरी 1950 तक रहे । इसके बाद रोनाल्ड चैपमैन और फिर गेराल्ड गिब्स कमांडर इन चीफ रहे।1अप्रैल 1954 को प्रथम भारतीय एयर मार्शल सुब्रत मुखर्जी ने एयर फोर्स के चीफ आफ स्टाफ के रूप मे वायु सेना अध्यक्ष का पद भार सम्भाला और एयर मार्शल संजीव कपूर ने महानिदेशक (निरीक्षण और सुरक्षा) का पदभार एयर मार्शल संजीव कपूर ने 01 मई, 2022 को संभाला ।

वर्तमान वायु सेना अध्यक्ष विवेक राम चौधरी ने मई 2021 में  पदभार ग्रहण करते हुए अपनी प्राथमिकताओं को गिनाते हुए कहा था “मेरी पहली प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना होगा कि एयर पावर के उचित और सही इस्तेमाल के जरिए से देश की सुरक्षा सुनिश्चित हो. दूसरा, भविष्य के युद्ध की चुनौतियों का सामना करने के लिए अपने सभी कर्मियों को प्रशिक्षित, प्रेरित और लैस करने में सक्षम करना. इसके बाद, हमें हर तरह से आत्मनिर्भर बनने के लिए ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में विशाल कदम उठाना होगा.” भारतीय वायुसेना अस्तित्व में आने के बाद से ही  अपने ध्येय वाक्य ‘नभ: स्पृशं दीप्तम्’ के मार्ग पर चल रही है। इसका अर्थ है ‘गर्व के साथ आकाश को छूना।’ वायु सेना के इस ध्येय वाक्य को भगवत गीता के 11वें अध्याय से लिया गया है। भारतीय वायुसेना के ध्वज का रंग नीला, आसमानी नीला और सफेद है।

भारतीय वायुसेना दिवस पर 8 अक्टूबर को गाजियाबाद के हिंडन वायुसेना स्टेशन पर कार्यक्रम का आयोजन होता है जिसमें  आसमान में दमदार विमानों का प्रदर्शन किया जाता है व पुरुष और महिला पायलटों की एक परेड आयोजित होती है। इस समारोह में वायुसेना प्रमुख सैन्य कर्मियों को पदक से सम्मानित करते हैं। इस साल चंडीगढ़ में कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है, जिसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भी शामिल होना है । भारतीय वायुसेना के खेमे में 4 अक्टूबर को स्वदेश निर्मित हल्का लड़ाकू विमान लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर ‘प्रचंड’ भी शामिल  गया है।  रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सीडीएस जनरल अनिल चौहान और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी की उपस्थिति में जोधपुर एयरबेस में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान इन हेलिकॉप्टरों को औपचारिक रूप से वायु सेना के बेड़े में शामिल किया गया । वायुसेना के बेड़े में इस समय दमदार लड़ाकू विमानों की संख्या बढ़ रही है। इन  विमानों का प्रदर्शन लोगों को जल्द देखने को मिलेगा।

आजादी के बाद से भारतीय वायुसेना 5 युद्ध लड़ चुकी है। इसमें से चार जंग भारत पाकिस्तान के बीच हुईं और एक चीन के खिलाफ लड़ी गई। पाकिस्तान के खिलाफ 1948, 1965, 1971 और 1999 में भारतीय वायुसेना जंग में शामिल हुई। चीन के साथ 1962 के युद्ध में भी भारतीय वायुसेना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ऑपरेशन विजय, ऑपरेशन मेघदूत, ऑपरेशन कैक्टस और बालाकोट एयर स्ट्राइक भारतीय वायुसेना के कुछ प्रमुख ऑपरेशनों में शामिल हैं। भारतीय वायुसेना संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन का भी सक्रिय हिस्सा रही है. इसके अलावा, भारतीय वायु सेना आपदा राहत कार्यक्रमों में भी हिस्सा लेती है. इसने 2004 में सुनामी और 1998 में गुजरात चक्रवात के दौरान प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के लिए बड़े स्तर पर राहत आपरेशन चलाए ।

स्वदेशीकरण और मेक इन इंडिया पर ज़ोर के चलते सबसे ज़्यादा चिंताएं भारतीय वायु सेना को लेकर जताई जा रही हैं. फ़िलहाल भारतीय वायु सेना के पास फ़ाइटर प्लेन के 42 स्क्वॉड्रन्स का प्रावधान है लेकिन अभी केवल 32 स्क्वॉड्रन ही सक्रिय हैं । इन 32 स्क्वॉड्रन में से 12 , 30 एमकेआई लड़ाकू विमानों की हैं, 6 जैगुआर लड़ाकू विमानों की हैं, 4 मिग-21 की हैं, तीन-तीन स्क्वाड्रन मिराज 2000 और मिग-29 की हैं, और दो-दो स्क्वॉड्रन्स लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट और रफ़ाल लड़ाकू विमानों की हैं। आसान शब्दों में कहा जाए तो दस स्क्वॉड्रन्स की कमी का मतलब ये है कि भारतीय वायु सेना के पास क़रीब 180 लड़ाकू विमानों की कमी है और बहुत से लड़ाकू विमान जो उसके पास इस वक़्त उपलब्ध हैं वो काफ़ी पुराने हो चुके हैं। वर्तमान में अनुमान है कि इस समय भारतीय वायु सेना में कुल मिलाकर लगभग एक लाख 80 हजार वायु सैनिक एवं अधिकारी कार्यरत हैं । भारतीय वायुसेना समय समय पर अपनी दक्षता एवं कार्य कुशलता तथा सटीकता का परिचय दे चुकी है और देश वायु सेना के संरक्षण में स्वयं को पूर्णत सुरक्षित मानता है आने वाले समय में निश्चित ही भारतीय वायु सेना के भी अपडेटेशन की जरूरत है और भारतीय सरकार इसके प्रति सजग है।

लेखक वरिष्ठ स्तंभकार हैं.

नोट – लेखक द्वारा व्यक्त विचारों से मातृभूमि समाचार का सहमत होना आवश्यक नहीं है.

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