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द्रौपदी मुर्मू ने भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा सेवा के अधिकारी प्रशिक्षुओं के साथ बातचीत की

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शिमला (मा.स.स.). राष्ट्रपति  द्रौपदी मुर्मु ने शिमला स्थित राष्ट्रीय लेखा तथा लेखा परीक्षा अकादमी का दौरा किया तथा भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा सेवा के अधिकारी प्रशिक्षुओं से बातचीत की। राष्ट्रपति ने अधिकारी प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए कहा कि यह उनके लिए गर्व की बात है कि उन्हें नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) तथा भारतीय लेखा तथा लेखा विभाग के अधिकारियों के रूप में दायित्व और पारदर्शिता के सिद्धान्तों को लागू करने का अवसर मिला है। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च लेखा परीक्षा संस्थान की भूमिका केवल निरीक्षण प्रदान करने तक सीमित नहीं है, बल्कि सूचित नीति निर्माण में आवश्यक इनपुट देना भी है।

सीएजी भारतीय लेखा परीक्षा तथा लेखा विभाग और इसके सक्षम अधिकारियों के माध्यम से इन दोनों उद्देश्यों का प्रभावी ढंग से अनुसरण कर रहे हैं। यह उनकी जिम्मेदारी है कि वे संविधान के आदर्शों को बनाए रखें और सत्यनिष्ठा तथा प्रतिबद्धता के साथ राष्ट्रनिर्माण की दिशा में काम करें। राष्ट्रपति ने लेखा परीक्षा के डिजिटिकरण की चर्चा करते हुए कहा कि हाल में लॉन्च की गई एक भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा विभाग एक प्रणाली सराहनीय पहल है। उन्होंने कहा कि ब्लॉकचेन्स, डाटा एनालिटिक्स, वर्चुअल ऑडिट रूम आदि जैसी टेक्नोलॉजी का व्यापक उपयोग पारदर्शिता और परिपालन सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है, लेकिन टेक्नोलॉजी मानवीय हस्तक्षेप की आवश्यकताओं का स्थान नहीं ले सकती और न ही इसे लेना चाहिए। उन्होंने युवा अधिकारियों से आग्रह किया कि वे निर्णय लेते समय और नीतियों को लागू करते समय राष्ट्र और उसके नागरिकों से संबंधित विषयों में मानवीय स्पर्श और संवेदनशीलता के मूल्य को समझें।

राष्ट्रपति ने कहा कि लेखा परीक्षा का प्राथमिक उद्देश्य दोष निकालने की जगह प्रक्रिया और नीतियों में सुधार होना चाहिए। इसलिए स्पष्टता और दृढ़ता के साथ लेखा परीक्षा सिफारिशों को सूचित करना आवश्यक है। इससे लोक सेवा को सुधारने और परिष्कृत करने और नागरिकों के अधिकतम लाभ के लिए सेवाओं की डिलीवरी में मदद मिलेगी। उन्होंने भारतीय लेखा परीक्षा तथा लेखा सेवा के अधिकारियों से आग्रह किया कि वे देश के नागरिकों की भलाई को हमेशा ध्यान में रखें और अपने दृष्टिकोण में निष्पक्षता सुनिश्चित करें।

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