सॉल्ट लेक सिटी. अब पवित्र ग्रंथ बाइबल पर बवाल मच गया है. ईसाइयों के इस धर्म ग्रंथ को यह बताकर स्कूलों में बैन कर दिया गया है कि इसमें ‘हिंसा और अश्लीलता’ का जिक्र है. इस वजह से यह बच्चों के लिए सही नहीं है. अमेरिका के एक जिले ने प्राइमरी और मिडिल स्कूल के छात्रों के लिए इसे बैन कर दिया है.
यूटा के सॉल्ट लेक सिटी के डेविस स्कूल डिस्ट्रिक्ट नॉर्थ ने बाइबल को स्कूली पाठ्यक्रम से हटा दिया है. इस स्कूल में 72 हजार से ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं. हालांकि बवाल मचने के बाद हाई स्कूल में बाइबल को पढ़ाना जारी रखा गया है. बाइबल के अलावा शेरमन एलेक्सी की किताब ‘द एब्सोल्यूटली ट्रू डायरी ऑफ पार्ट टाइम इंडियन’ और जॉन ग्रीन की किताब ‘लुकिंग फॉर अलास्का’ को भी हटा दिया गया है.
बाइबल में इन शब्दों का जिक्र
अभिभावकों, टीचर्स और स्थानीय अधिकारियों की कमेटी ने यह फैसला लिया है. यह खुलकर नहीं बताया गया है कि बाइबल के किस हिस्से को लेकर आपत्ति जताई गई है. हालांकि शिकायत में अभिभावकों ने कहा है कि बाइबल में ‘अनाचार, वेश्यावृत्ति और रेप’ का जिक्र है. एपी की खबर के अनुसार एक अभिभावक ने 11 दिसंबर को शिकायत की थी, जिसमें लिखा गया था, ‘यूटा के अभिभावकों ने ऐसी किताब को छोड़ दिया जिसमें सबसे ज्यादा सेक्स का जिक्र है. वो है बाइबल. आपको इसमें कोई शक नहीं होगा कि बाइबल (स्टेट कानून के तहत) में बच्चों के लिए कोई नैतिक मूल्य नहीं हैं क्योंकि हमारी नई परिभाषा से यह पोर्नोग्राफिक में अंतर्गत आता है.’ यूटा में 2022 में नया कानून बनाया गया है. इसके तहत कमेटी छात्रों की उम्र को देखते हुए विभिन्न चुनौतियों के मामले में अपना फैसला खुद ले सकते हैं. इसी वजह से बाइबल को हाई स्कूल में बैन नहीं किया गया है.
पहले भी उठे सवाल
एपी की खबर के अनुसार मेरिका में बाइबल को लेकर पहले भी सवाल उठ चुके हैं. अमेरिकन लाइब्रेरी एसोसिएशन की लिस्ट में बाइबल ऐसी किताब है, जिसे सबसे ज्यादा चैलेंज किया गया है. पिछले साल ही टेक्सस और मिसूरी प्रांत के स्कूलों की लाइब्रेरी से इसे अस्थायी तौर पर हटा दिया गया था. किताबों पर बैन लगाने की प्रक्रिया में नई पॉलिसी अपनी भूमिका निभा रही है और यह बहस का विषय बन चुका है. हाल ही में अरकंसास प्रांत ने कानून पारित किया. इसके तहत अगर लाइब्रेरी में बच्चों को ‘नुकसानदायक’ सामग्री दी जाती है तो लाइब्रेरियन को सजा होगी. हालांकि इस फैसले का विरोध भी हो रहा है. पढ़ने की स्वतंत्रता की वकालत करने वाले संगठनों का कहना है कि अगर लोग बाइबल के बैन करने पर गुस्सा रहे हैं तो उन्हें स्कूलों से हटाई जाने वाली सभी किताबों को लेकर नाराजगी जतानी चाहिए.
साभार : टीवी9 भारतवर्ष
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