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अरबिंदो फार्मा के एमडी शरथ रेड्डी बने दिल्ली शराब घोटाले में बने सरकारी गवाह

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नई दिल्ली. दिल्ली शराब घोटाला मामले में कोर्ट ने अरबिंदो फार्मा के प्रबंध निदेशक शरथ रेड्डी को सरकारी गवाह बनने की याचिका स्वीकार कर ली है. राउज एवेन्यू कोर्ट ने रेड्डी को माफी दे दी है. उन्होंने कोर्ट को बताया है कि उन्हें जान का खतरा है. उनका बयान सीलबंद लिफाफे में रखा गया है. ईडी ने बीते साल 10 नवंबर को शरथ रेड्डी को शराब घोटाला मामले में गिरफ्तार किया था. उनके साथ ही विनय बाबू को भी गिरफ्तार किया गया था. अब रेड्डी सरकारी गवाह बन गए हैं. इसके साथ ही कोर्ट ने उन्हें क्षमा भी कर दिया है. अब उन्हें इस मामले में सजा नहीं होगी.

दिनेश अरोड़ा भी बने सरकारी गवाह

इससे पहले मनीष सिसोदिया के करीबी रहे दिनेश अरोड़ा भी सरकारी गवाह बन गए थे. उन्होंने कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि वह सरकारी गवाह बनने को तैयार हैं. अपनी याचिका में अरोड़ा ने कहा था कि सीबीआई द्वारा इस मामले की जांच में वह पूरा सहयोग कर रहे हैं और जांच अधिकारी के सामने सही बयान दिए हैं.

सिसोदिया की जमानत याचिका हुई थी खारिज

बीती 30 मई को दिल्ली हाई कोर्ट ने शराब घोटाला मामले में ही पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सिसोदिया के खिलाफ आरोप काफी गंभीर हैं. उनका इस मामले में व्यवहार भी सही नहीं रहा है. वो गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं. इनके पास 18 विभाग रहे हैं. पूर्व उप मुख्यमंत्री रह चुके हैं. इसलिए उनको अभी जमानत नहीं दी जा सकती.

अगस्त 2022 में सीबीआई ने दर्ज किया था केस

सीबीआई ने 17 अगस्त 2022 को एलजी की सिफारिश के बाद दिल्ली शराब घोटाले का मामला दर्ज किया था. इसमें मनीष सिसोदिया, तीन पूर्व सरकारी अफसर, 9 कारोबारी और दो कंपनियों को आरोपी बनाया गया. सीबीआई ने आरोपियों पर आपराधिक साजिश रचने और भ्रष्टाचार से जुड़ी धाराओं के तहत केस दर्ज किया. इनमें तीन पूर्व सरकारी अफसर एजी कृष्णा (पूर्व एक्साइज कमिश्नर), आनंद तिवारी (पूर्व डिप्टी एक्साइज कमिश्नर) और पंकज भटनागर (पूर्व असिस्टेंट एक्साइज कमिश्नर) शामिल थे.

इन लोगों को बनाया गया आरोपी

इसके अलावा अमित अरोड़ा (बडी रिटेल प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर), दिनेश अरोड़ा (सरकारी गवाह) और अर्जुन पांडे को भी आरोपी बनाया गया. इन तीनों को सिसोदिया का करीबी माना जाता है. आरोप है कि तीनों ने आरोपी सरकारी अफसरों की मदद से शराब कारोबारियों से पैसा इकट्ठा किया और उसे दूसरी जगह डायवर्ट किया. सीबीआई ने पिछले साल नवंबर में इस मामले में पहली चार्जशीट दाखिल की. इसमें सात आरोपियों का नाम शामिल किया गया था. हालांकि, इसमें सिसोदिया का नाम नहीं था. हालांकि सप्लीमेंट्री चार्जशीट में सिसोदिया का नाम जोड़ा गया और 26 फरवरी को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था.

क्या है पूरा मामला?

दरअसल दिल्ली सरकार नई आबकारी नीति लेकर आई थी, जिसमें विवाद बढ़ने के बाद 28 जुलाई 2022 को सरकार ने नई शराब नीति रद्द कर फिर पुरानी नीति लागू करने का फैसला लिया. 31 जुलाई को कैबिनेट नोट में ये माना गया कि शराब की ज्यादा बिक्री के बावजूद सरकार की कमाई कम हुई, क्योंकि खुदरा और थोक कारोबारी शराब के धंधे से हट रहे थे. वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में 1,485 करोड़ रुपये का रेवेन्यू मिला, जो बजट अनुमान से करीब 38 फीसदी कम था.

साभार : आज तक

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