नई दिल्ली. भारतीय क्रिकेट टीम से बाहर चल रहे ईशान किशन पर लग रहा है कि बोर्ड की वार्निंग का भी कोई असर नहीं हुआ है. इस बल्लेबाज की रणजी ट्रॉफी से अनुपस्थिति जारी रही क्योंकि झारखंड के लिए घरेलू क्रिकेट खेलने वाले विकेटकीपर-बल्लेबाज ने शुक्रवार को शुरू हुए मैचों के अंतिम दौर को छोड़ दिया. ईशान किशन का यह फैसला ऐसे समय में आया है जब पीटीआई की रिपोर्ट में पहले ही दावा किया गया था कि बीसीसीआई के अधिकारी किशन को 16 फरवरी से जमशेदपुर में राजस्थान के खिलाफ होने वाले झारखंड के अंतिम लीग मैच में खेलने का निर्देश दे चुके हैं. ऐसे में ईशान किशन का यह बर्ताव शायद ही बोर्ड को रास आए.
बीसीसीआई सचिव जय शाह ने सौराष्ट्र क्रिकेट स्टेडियम के नाम में हुए बदलाव के दौरान कार्यक्रम साफ कहा था कि बोर्ड से केंद्रीय अनुबंध प्राप्त खिलाड़ियों को घरेलू सर्किट में खेलना ही होगा. जय शाह ने कहा था,”प्लेयर्स को फ़ोन पर पहले ही बता दिया गया है. और मैं उन्हें पत्र भी लिखने वाला हूं कि अगर सेलेक्टर्स के चेयरमैन, कोच और कप्तान आपसे ये चाहते हैं, तो आपको रेड-बॉल क्रिकेट खेलनी ही होगी.”
जय शाह ने कहा था,”हम खिलाड़ियों की फ़िटनेस पर राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी के मेडिकल स्टाफ़ की सलाह मानेंगे. यह केंद्रीय अनुबंध में शामिल सभी खिलाड़ियों पर लागू होगा. खिलाड़ी अपना भविष्य तय नहीं कर सकते, खिलाड़ियों के भविष्य पर निर्णय चयनकर्ता लेंगे. अगर कोई खिलाड़ी रेड बॉल क्रिकेट खेलने में अच्छा है तो उसे यह खेलना होगा.” माना जा रहा है कि बोर्ड ने यह फैसला ईशान किशन के मामले को देखते हुए ही लिया था.
ईशान किशन के अलावा विभिन्न स्थानों पर शुरू हुए अंतिम दौर के मैचों में दीपक चाहर और श्रेयस अय्यर भी शामिल नहीं हैं. हालांकि, अय्यर को पीठ के निचले हिस्से और कमर में समस्या थी. इन तीन खिलाड़ियों – किशन, चाहर और अय्यर – को विशेष रूप से प्रथम श्रेणी क्रिकेट में अपनी-अपनी राज्य टीमों के लिए खेलने के लिए कहा गया था.
ईशान किशन की अनुपस्थिति में कुमार कुशाग्र झारखंड के लिए विकेटकीपिंग की जिम्मेदारी निभाते रहे. झारखंड, जिसके अब तक छह मैचों में केवल एक जीत और 10 अंक हैं, अपने अंतिम दौर में घरेलू मैदान पर राजस्थान से खेल रहा है. जिस तरह से ईशान किशन “यात्रा की थकान” का हवाला देकर राष्ट्रीय टीम के दक्षिण अफ्रीका दौरे के बीच से लौटने के बाद से एक के बाद एक मैच नहीं खेल रहे हैं, वह भारतीय क्रिकेट प्रतिष्ठान में मायने रखने वाले लोगों को पसंद नहीं आया है.
इससे भी अधिक यह पता चला कि वह अपने नए मुंबई इंडियंस कप्तान हार्दिक पंड्या के साथ बड़ौदा में प्रशिक्षण ले रहे थे, जबकि उनकी राज्य टीम रणजी में ग्रुप ए तालिका में सबसे नीचे थी. इस बात पर आम सहमति है कि एक सख्त नीति का पालन करने की आवश्यकता है ताकि युवा खिलाड़ियों का एक समूह “सिर्फ आईपीएल खेलना” को अपनी आदत न बना ले.
साभार : एनडीटीवी
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