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पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद हिंसा के पीछे एसडीपीआई का हाथ

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कोलकाता. पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले और अन्य जिलों में वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हुए। हिंसा में तीन लोगों की मौत हुई और कई पुलिसकर्मी घायल हुए। असम और त्रिपुरा में भी उग्र प्रदर्शन की खबरें आईं, मगर इन राज्यों में हालात काबू में रहा। देश के अन्य हिस्सों में भी वक्फ बिल के विरोध में प्रदर्शन हुए, मगर बंगाल की तरह पलायन की नौबत नहीं आई। सूत्रों के अनुसार, बंगाल पुलिस को इनपुट मिले हैं कि इस हिंसक प्रदर्शन में बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठन एसडीपीआई और अन्य समूहों का हाथ है। बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने मुर्शिदाबाद हिंसा की जांच एनआईए से कराने की मांग की है। अभी तक मुर्शिदाबाद हिंसा में 200 लोगों को अरेस्ट किया गया है।

कुणााल घोष का विवादित बयान

इस बीच मुर्शिदाबाद हिंसा पर राजनीति गरमा गई है। टीएमसी नेता कुणाल घोष ने विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा कि हमें कुछ इनपुट मिल रहे हैं कि इन घटनाओं के पीछे एक बड़ी साजिश थी, जिसमें केंद्रीय एजेंसियों के अलावा बीएसएफ और दो-तीन राजनीतिक दल भी शामिल है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि मुर्शिदाबाद में विस्फोटों और गोलीबारी की घटनाओं के बाद एनआईए को जांच करनी चाहिए क्योंकि ये राष्ट्र विरोधी गतिविधियां हैं। उन्होंने कहा कि जहां भी हिंदू अल्पसंख्यक हैं, मुसलमान उन्हें वोट नहीं देने देते इसलिए लोकतंत्र की रक्षा के लिए पश्चिम बंगाल में चुनाव राष्ट्रपति शासन के तहत होने चाहिए।

पलायन पर राजनीतिक बयानबाजी

हिंसा के कारण हो रहे मुर्शिदाबाद के पलायन पर भी राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गई है। बीजेपी नेता सुकांत मजूमदार ने बताया कि हिंसक कट्टरपंथी ताकतों के कारण मुर्शिदाबाद के विभिन्न हिस्सों से मालदा में शरण लेने वाले हिंदुओं की मदद के लिए पार्टी ने एक विशेष नियंत्रण कक्ष बनाया है। हमले की किसी भी घटना की तुरंत सूचना देने के लिए दो विशेष हेल्पलाइन नंबर दिए गए हैं। टीएमसी नेता और पश्चिम बंगाल के मंत्री फिरहाद हकीम ने कहा कि हिंदू बंगाल के भीतर ही पलायन कर रहे हैं। सब कुछ ठीक है। स्थिति जो हुई, वह निंदनीय है और पुलिस पता लगाएगी कि इसके पीछे कौन था।

एडीजी का आया बयान

मुर्शिदाबाद हिंसा पर एडीजी कानून एवं व्यवस्था जावेद शमीम ने भी बयान दिया है। उन्होंने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमें सही व्यक्ति ही मिले, क्योंकि एक भी गलत गिरफ्तारी से मामला उलझ सकता है। हम यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं कि मामले को पूरी जिम्मेदारी के साथ निपटाया जाए, ताकि इस अपराध में शामिल सभी लोगों को सजा मिले। यह भी सामने आया है कि एक वक्त बंगाल में सिमी की सक्रियता सबसे ज़्यादा मुर्शिदाबाद में थी। बाद में सिमी के ही लोग पीएफआई से जुड़ गए और मुर्शिदाबाद पीएफआई (PFI) का गढ़ बन गया और यही सिमी और पीएफआई के लोग ही एसडीपीआई (SDPI) से भी जुड़े हुए हैं और मुर्शिदाबाद में एसडीपीआई का संगठन काफ़ी मज़बूत भी है।

साभार : नवभारत टाइम्स

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