शुक्रवार, नवंबर 22 2024 | 12:01:35 AM
Breaking News
Home / राष्ट्रीय / समाज को ज्ञान रहे तो वह छल, कपट को पहचान सकेगा : डॉ. मोहन भागवत

समाज को ज्ञान रहे तो वह छल, कपट को पहचान सकेगा : डॉ. मोहन भागवत

Follow us on:

भोपाल (मा.स.स.). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि हमें अमूल्य देन मिली है. बहुत से राष्ट्र दुनिया में आए और चले गए. भारत तब भी था, आज भी है और कल भी रहेगा, क्योंकि यहां धर्म देने का काम सबल बनाते रहता है. हमें अपने ही देश में परंपरा से भारतीय मतों को मानने वाले लोगों में जो विचलन आ गया है, उन्हें धर्म की जड़ों से पक्का स्थापित करना है. धर्म में जाग्रत करना ईश्वरीय कार्य है. हम सब मिलकर प्रयास करेंगे. हम सब जितने सक्रिय होंगे. उतना सब जल्दी ठीक होने वाला है. सरसंघचालक महाजनापेठ में प.पू गोविंदनाथ महाराज की समाधी लोकार्पण अवसर पर संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा – हमारे पास सत्य, करूणा, शुचिता, तपस है. हमें अपनों को जागृत करना है. जैसे-जैसे देश खड़ा हो रहा है, वैसे वैसे जो नुकसान हुआ है वह पूरा होने के आसार दिख रहे हैं.

उन्होंने कहा कि धर्म देने वाला भारत है. यह सबकी आवश्यकता है. लोगों को धर्म, संस्कृति, नीति से जोड़ना है. 100 साल की अवधि में पूरा बदल देने वाले लोग यहां आए, लेकिन जो सैकड़ों साल से काम कर रहे हैं, उनके हाथों में कुछ नहीं लग रहा है. समाज को ज्ञान रहे तो वह छल कपट को पहचान सकेगा. इसलिए उसमें आस्था पक्की करनी चाहिए. हमारे व्यक्ति को रामायण तो पता है, लेकिन उसका भाव नहीं पता. उसे तैयार करना पड़ेगा ताकि सवाल पूछने वाले को सही जवाब दे सकें. उसका यह कच्चापन हमको दुःखी करता है. हमारे पूर्वजों ने हमारी जड़ें पक्की कीं, उसे उखाड़ने का आज तक प्रयास होता रहा. हमारे लोग नहीं बदलते, जब उनका विश्वास उठ जाता है कि हमारा समाज हमारे साथ नहीं तब ऐसा होता है. हमें उन्हें जोड़ना है.

डॉ. भागवत ने कहा कि बहुत शीघ्र धर्म के मूल्यों के आधार पर दुनिया चलने वाली है और सबसे पहले भारत चलेगा. 20-30 साल में यह परिवर्तन हम सभी के प्रयासों से देखने को मिलेंगे. इस दौरान शंकराचार्य, महामंडलेश्वर हरिहरानंद महाराज अमरकंटक, जितेंद्रनाथ महाराज श्रीनाथ पीठाधेश्वर सहित अन्य संत उपस्थित रहे. एक घंटे की शाखा में जो सीखते हैं, उसे 23 घंटे अमल में लाएं

सरसंघचालक ने शिकारपुरा स्थित गुर्जर भवन में आयोजित धर्म संस्कृति सम्मेलन में कहा कि ये जात पात, पंथ, संप्रदाय, पूजा के भेद छोड़ दो. यह विश्व ही मेरा घर है यह मानकर चलो. सबका ख्याल रखकर अपना ख्याल रखना है. सभी के मुख से मंगल विचार, मंगल वाणी निकलनी चाहिए. देश की भक्ति, सभी के प्रति सद्भाव होना चाहिए. एक घंटे की शाखा जो सिखाती है, उसे 23 घंटे अपनाना है. दुनिया का ध्यान भारत की तरफ है. भारत को गुरू बनाना चाहती है दुनिया, लेकिन भारत को इसके लिए तैयार होना पड़ेगा. धर्म संस्कृति सम्मेलन में हजारों की संख्या में लोग पहुंचे थे. आसपास के जिलों से एक दिन पहले से ही यहां लोगों के आने का सिलसिला शुरू हो गया था.

भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं

https://www.amazon.in/dp/9392581181/

https://www.flipkart.com/bharat-1857-se-1957-itihas-par-ek-drishti/p/itmcae8defbfefaf?pid=9789392581182

मित्रों,
मातृभूमि समाचार का उद्देश्य मीडिया जगत का ऐसा उपकरण बनाना है, जिसके माध्यम से हम व्यवसायिक मीडिया जगत और पत्रकारिता के सिद्धांतों में समन्वय स्थापित कर सकें। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए हमें आपका सहयोग चाहिए है। कृपया इस हेतु हमें दान देकर सहयोग प्रदान करने की कृपा करें। हमें दान करने के लिए निम्न लिंक पर क्लिक करें -- Click Here


* 1 माह के लिए Rs 1000.00 / 1 वर्ष के लिए Rs 10,000.00

Contact us

Check Also

भारत में रोजगार के संदर्भ में बदलना होगा अपना नजरिया

– प्रहलाद सबनानी भारतीय प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति की सदस्य सुश्री शमिका रवि द्वारा …