नई दिल्ली (मा.स.स.). भारत-ब्रिटेन संयुक्त सलाहकार समिति (जेसीसी) की हाल की बैठक में वाणिज्यिक अदालतों के कामकाज, मध्यस्थता और बीच-बचाव जैसी वैकल्पिक विवाद समाधान व्यवस्थाओं (एडीआर), मामलों के प्रबंधन, न्याय व्यवस्था और अनुबंधों के प्रवर्तन तथा सरल विधायी प्रारूपण में प्रौद्योगिकी के उपयोग से संबंधित अनुभवों और सर्वोत्तम कार्य पद्धतियों के आदान-प्रदान को सुगम बनाने पर व्यापक सहमति बनी। इसके अलावा प्रतिष्ठित संस्थानों में विधि सलाहकारों, ड्राफ्ट्समैन, न्यायिक अधिकारियों, अभियोजकों और कानूनी व्यवसायियों के लिए समयबद्ध प्रशिक्षण और क्षमता संवर्धन कार्यक्रमों का आयोजन किए जाने पर भी सहमति बनी।
भारत सरकार और ब्रिटेन ने 10 जुलाई, 2018 को विधि एवं न्याय के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। उस समझौता ज्ञापन के संदर्भ में, उद्देश्यों को पूरा करने के लिए सहयोग के क्षेत्र में भविष्य में उठाए जाने वाले कदमों को निर्धारित करते हुए एक संयुक्त सलाहकार समिति (जेसीसी) का गठन किया गया है। जेसीसी की तीसरी बैठक 18 अगस्त, 2022 को नई दिल्ली में वैयक्तिक रूप से आयोजित की गई।
बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विधि सचिव डॉ. नितिन चंद्रा ने किया। भारतीय पक्ष की ओर से इस विचार-विमर्श में विधि कार्य विभाग, विधायी विभाग और न्याय विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों, राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) के सदस्य सचिव और भारतीय विधि संस्थान, नई दिल्ली के निदेशक ने भाग लिया। बैठक में ब्रिटेन का नेतृत्व सेकेंड पार्लियामेंट सेक्रेटरी डॉ. जो फर्रार, न्याय मंत्रालय, ब्रिटेन सरकार ने किया। उनके साथ न्याय मंत्रालय और नयी दिल्ली स्थित ब्रिटिश उच्चायोग के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
विधि सेवा समिति (एलएससी) की 18 अगस्त, 2022 को आयोजित बैठक में एमओयू के तहत ब्रिटेन की विधि कंपनियों और वकीलों के प्रवेश के लिए नियम बनाने के विषय के संबंध में अलग से चर्चा की गई। इस समिति में दोनों देशों के अधिकारी और बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) तथा लॉ सोसाइटी ऑफ इंग्लैंड एंड वेल्स के प्रतिनिधि शामिल हैं। विधि सेवा समिति की बैठक के दौरान भारत और ब्रिटेन के प्रधानमंत्रियों के बीच 4 मई, 2021 को आयोजित भारत-ब्रिटेन आभासी शिखर सम्मेलन के परिणामों और दोनों देशों के बीच व्यापार क्षमता संबंधी संवर्धित व्यापार साझेदारी (ईटीपी) के लॉन्च को याद किया गया। दोनों देश पारस्परिक आधार पर भारत में विधि सेवा क्षेत्र को खोलने सहित बाजार तक पहुंच संबंधी एक-दूसरे के सरोकारों को सुगम बनाने पर भी सहमत हुए हैं।
एलएससी विचार-विमर्श में भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त, एलेक्स एलिस ने भी भाग लिया। यह बैठक सौहार्दपूर्ण वातावरण में संपन्न हुई, जिसमें दोनों पक्षों ने विधि सेवा क्षेत्र को खोले जाने से संबंधित एक-दूसरे के सरोकारों की सराहना की। लॉ सोसाइटी ऑफ इंग्लैंड एंड वेल्स की अध्यक्ष अपनी टीम के साथ इस बैठक में आभासी रूप से शामिल हुईं। उन्होंने गैर-ब्रिटिश अहर्ताप्राप्त वकीलों द्वारा अदालत में प्रैक्टिस और विधि परामर्श के क्षेत्रों को निर्धारित करने वाले नियमों के बारे में विस्तार से बताया। बीसीआई के सचिव ने उन वकीलों के अधिकारों, विशेषाधिकारों और हितों की रक्षा के संबंध में अपने उत्तरदायित्व पर बल दिया, जिनका वे प्रतिनिधित्व करते हैं। हालांकि, दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने संबंधित अर्थव्यवस्थाओं के लिए विधि सेवा क्षेत्र को खोलने के संभावित लाभों की सराहना करते हुए सभी हितधारकों के लाभ के समान आधार तलाशने के लिए एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करने पर सैद्धांतिक रूप से सहमति प्रकट की।