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हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड अयस्क उत्पादन में तीन गुना वृद्धि के लिए प्रयासरत

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नई दिल्ली (मा.स.स.). हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड और धनबाद के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स) के बीच सहयोगी तथा प्रायोजित अनुसंधान परियोजनाओं के लिए कोलकाता स्थित एचसीएल कॉर्पोरेट कार्यालय में एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस अवसर पर एचसीएल के मुख्य प्रबंध निदेशक श्री अरुण कुमार शुक्ला और आईआईटी (आईएसएम), धनबाद के निदेशक प्रोफेसर राजीव शेखर उपस्थित थे।

धनबाद के आईआईटी (आईएसएम) के साथ किया गया यह समझौता अपनी तरह का पहला तकनीकी सहयोग है, जो एचसीएल के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड भारत का एकमात्र ऐसा तांबा खनिक है, जिसके पास देश में तांबा अयस्क के सभी परिचालन खनन पट्टे हैं। वर्तमान में, अधिकांश अयस्क उत्पादन भूमिगत मोड के माध्यम से ही होता है और राष्ट्रीय अयस्क उत्पादन का स्तर लगभग चालीस लाख टन प्रति वर्ष है। अयस्क निकाय की जटिल भूवैज्ञानिक विशेषताओं और खनन की बढ़ती गहराई की चुनौती के कारण विशेषकर उत्पादन की प्रक्रिया के दौरान तकनीकी/परिचालन संबंधी समस्याओं के साथ-साथ विभिन्न भू-तकनीकी एवं भूजल संबंधी मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा, सुरक्षा मानकों को बनाए रखने और खनन में स्थिरता के उभरते हुए मुद्दों से निपटना भी समय की आवश्यकता है।

एचसीएल अयस्क उत्पादन क्षमता में लगभग तीन गुना वृद्धि के साथ अपने विस्तार के चरण में है, जिसके तहत परियोजनाओं में विकास की गतिविधियां या तो जारी हैं या फिर इसकी अधिकांश खानों में पहले से ही योजनाएं लागू की गई हैं। वर्तमान में, खनन किए गए अयस्क को एचसीएल के अपने स्वयं के अयस्क संशोधन संयंत्रों में संसाधित किया जाता है और फिर सांद्र धातु (एमआईसी) को आंशिक रूप से घरेलू बाजार में तथा शेष अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचा जाता है। धनबाद का आईआईटी (आईएसएम) विशेष रूप से खनिजों के खनन और इसकी लाभकारी गतिविधियों तथा पृथ्वी विज्ञान के क्षेत्र में राष्ट्रीय ख्याति का संस्थान होने के नाते, यह देश में उभरते हुए भूवैज्ञानिक, तकनीकी, पर्यावरण, टिकाऊ और एचसीएल के परिकल्पित विस्तार कार्यक्रम के साथ ही अन्य अयस्क लाभकारी मुद्दों को हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

वर्तमान समझौता ज्ञापन अत्याधुनिक तकनीकों के उपयोग के साथ खनन विधियों को संशोधित करके तांबा अयस्क उत्पादन बढ़ाने के लिए आईआईटी-आईएसएम से तकनीकी सहायता उपलब्ध कराएगा और मार्गदर्शन तथा परामर्श से सम्बन्धित एचसीएल की आवश्यकताओं को पूरा करेगा। इसके अलावा, तांबा अयस्क की गहन खोज के लिए खानों में उत्पादकता और सुरक्षा में सुधार, पर्यावरणीय मंजूरी के मुद्दे, विभिन्न हाइड्रोलॉजिकल तथा हाइड्रो-जियोलॉजिकल अध्ययन एवं अपरंपरागत अन्वेषण विधियों जैसे भूभौतिकीय अन्वेषण, रिमोट सेंसिंग आदि के क्षेत्रों में ध्यान केंद्रित किया जायेगा। हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड कंपनी भारतीय तांबा खनन क्षेत्र में सुधार, एचसीएल इंजीनियरों और प्रबंधकों के कौशल विकास एवं अन्वेषण के क्षेत्रों में ज्ञान उन्नयन के लिए प्रशिक्षण व विकास के लिए अनुसंधान तथा विकास परियोजनाओं को शुरू करने में आईआईटी-आईएसएम को भागीदार बनाना चाहती है। इस समझौते से अयस्क संशोधन व सज्जीकरण और विभिन्न अन्य वैधानिक/खदान विनियमन संशोधन तथा अन्य संबंधित मुद्दों को हल करने में मदद मिलेगी।

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