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डॉ. मोहन भागवत और प्रेमानंद महाराज ने समाज में गिरते बौद्धिक स्तर पर जताई चिंता

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लखनऊ. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार सुबह वृंदावन में संत प्रेमानंद महाराज से मुलाकात की। करीब 15 मिनट की मुलाकात में दोनों के बीच आध्यात्मिक चर्चा हुई। समाज में गिरते बौद्धिक स्तर पर चिंतन हुआ। प्रेमानंद महाराज ने कहा कि जब तक व्यक्ति के हृदय की मलीनता, हिंसात्मक वृत्ति ठीक नहीं होगी, तब तक बेहतर नहीं हो सकता।

सुबह करीब आठ बजे संघ प्रमुख प्रेमानंद महाराज के परिक्रमा मार्ग स्थित आश्रम पर पहुंचे। संघ प्रमुख ने कहा कि हमने आपको वीडियो पर सुना है। चाह मिटी चिंता गई, मनुवा बेपरवाह। ऐसे लोग कम देखने को मिलते है, इसलिए मिलने की इच्छा हुई। उन्होंने संत को अंगवस्त्र और फल की टोकरी भेंट की। आध्यात्मिक चर्चा में प्रेमानंद महाराज ने कहा कि भगवान ने जन्म केवल सेवा के लिए दिया है। व्यवहारिकी और आध्यात्मिक सेवा के लिए दिया है। ये दोनों अनिवार्य हैं।

हम अपने भारतवासियों को परमसुखी करना चाहते हैं, तो केवल वस्तु और व्यवस्था से नहीं कर सकते। उनका बौद्धिक स्तर सुधरना चाहिए। आज समाज का बौद्धिक स्तर गिरता चला जा रहा है। ये चिंता का विषय है। हम उन्हें सुविधाएं दे देंगे, विभिन्न प्रकार की भोग सामग्री दे देंगे, लेकिन उनके हृदय की जो मलीनता है, जो हिंसात्मक वृत्ति है, ये जब तक ठीक नहीं होगी, तब तक कुछ ठीक नहीं होगा। उन्होंने कहा कि हमारी नई पीढ़ी से हमारे राष्ट्र की रक्षा करने वाले प्रकट होते हैं। हमारी शिक्षा केवल आधुनिकता का स्वरूप लेती जा रही है। व्याभिचार, व्यसन और हिंसा की प्रवृत्ति नई पीढ़ी में देख हृदय में काफी असंतोष होता है। अविनाशी जीव कभी भोग विलास में तृप्त हो ही नहीं सकता। अब जो मानसिकता बन रही, धर्म और देश के लिए लाभदायक नहीं।

व्यसन, व्याभिचार और हिंसा बढ़ी, तो विभिन्न प्रकार की सुख-सुविधा देने के बाद भी अपने देशवासियों को सुखी नहीं कर पाएंगे। सुख का स्वरूप विचार से होता है। हमारा विचार गंदा हो रहा है, देशवासियों का विचार शुद्ध होना चाहिए। आवश्यकता विचार, आहार और आचरण शुद्ध करने की है। बच्चे चरित्रहीन हो रहे हैं। इससे राष्ट्र संकट में पड़ जाएगा। माता-पिता को जवान बच्चे निकाल दे रहे हैं। हमारा समाज किस तरह से गिरता जा रहा है। जब ऐसे लोग मिलते हैं, तो लगता है कि ऐसे लोग मनुष्य की मनुष्यता को भी छोड़ रहे। ऐसे लोगों को राष्ट्र प्रियता सिखाने की जरूरत है। मोहन भागवत ने कहा कि नोएडा में मुझे भारत के विकास पर भाषण देना था। आप लोगों से जो सुनते हैं, उसी पर भाषण दिया। हम सुधार के लिए आखिरी तक प्रयास करते रहेंगे, लेकिन क्या होगा, ऐसी चिंता मन में आती है।

क्या श्रीकृष्ण पर भरोसा नहीं?

संघ प्रमुख को चिंतित देख प्रेमानंद महाराज ने कहा कि क्या हमें श्रीकृष्ण पर भरोसा नहीं है। भरोसा दृढ़ है तो मंगलमय होगा। एक भजनानंदी लाखों का उद्धार कर सकता है। आचरण, संकल्प और वाणी से हमें राष्ट्र सेवा करनी है।

 साभार : दैनिक जागरण

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