लंदन.टोरी (कंज़र्वेटिव) पार्टी के वरिष्ठ सांसद रॉबर्ट जेनरिक ने बर्मिंघम के हैंड्सवर्थ में सोहो रोड को “स्लम” (झुग्गी बस्ती) करार दिया। इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में भारतीय और पाकिस्तानी मूल के लोग रहते हैं।जेनरिक ने मार्च में एक कंज़र्वेटिव एसोसिएशन रात्रिभोज के दौरान यह टिप्पणी की थी, जब वह कूड़ा उठाने वाले श्रमिकों की हड़ताल के दौरान जीबी न्यूज़ के एक अंश की शूटिंग के लिए उस क्षेत्र में गए थे।
उन्होंने कहा था: “मैं बर्मिंघम के हैंड्सवर्थ गया था। यह बिल्कुल भयावह था। मैं इस देश की झुग्गी बस्ती के इतने करीब पहुंच गया। डेढ़ घंटे तक वहां मैंने एक भी श्वेत चेहरा नहीं देखा। मैं ऐसे देश में नहीं रहना चाहता।” डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, जेनरिक उस समय शैडो जस्टिस सेक्रेटरी थे।
व्यापक आक्रोश और प्रतिक्रिया
जेनरिक की टिप्पणी ने व्यापक आक्रोश पैदा किया और इसकी तीखी आलोचना हुई। सांसद अयूब खान और मेयर रिचर्ड पार्कर ने उनकी आलोचना करते हुए इसे विभाजनकारी और नस्ली रूप से प्रभावित करने वाला बताया। अयूब खान ने इन टिप्पणियों को घृणित बताते हुए कहा कि इनमें नस्लवाद की झलक है। बिशप डेसमंड जद्दू जैसे समुदाय के लोगों ने भी बयानों को विभाजनकारी बताया और जेनरिक से माफी मांगने की मांग की। स्थानीय लोगों ने जेनरिक की टिप्पणी की निंदा की और अपने क्षेत्र को जीवंत और विविधतापूर्ण बताया।
हैंड्सवर्थ की जनसांख्यिकी
बर्मिंघम सिटी काउंसिल के आंकड़ों के अनुसार, हैंड्सवर्थ की केवल 8.7 प्रतिशत आबादी श्वेत है। जेनरिक का यह कहना कि उन्होंने डेढ़ घंटे तक “एक भी श्वेत चेहरा नहीं देखा,” क्षेत्र की जातीय विविधता को रेखांकित करता है। यह विवाद जेनरिक के बयान के नस्लीय और विभाजनकारी निहितार्थों के कारण उत्पन्न हुआ है, जहाँ उन्होंने एक अल्पसंख्यक-बहुल और विविध क्षेत्र को ‘स्लम’ कहा और अपनी असुविधा को ‘श्वेत चेहरों’ की अनुपस्थिति से जोड़ा।
Matribhumisamachar


