अहमदाबाद (मा.स.स.). प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने सांस्कृतिक पुनर्जागरण के युग में प्रवेश किया है। यह बात रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुजरात के सोमनाथ में आयोजित सौराष्ट्र-तमिल संगमम में अपने संबोधन के दौरान कही। उन्होंने कहा कि सरकार लोगों को इस देश की सदियों पुरानी परंपराओं और संस्कृतियों से जोड़ने के लिए कई कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि अपनी मजबूत जड़ों के साथ भारत की परंपराएं किसी भी चुनौती का सामना करने का सामर्थ्य एवं क्षमता प्रदान करते हुए हमारी शक्ति और एकता को प्रदर्शित करती हैं।
रक्षा मंत्री ने ‘सांस्कृतिक सुरक्षा’ सुनिश्चित करने की जरूरत पर बल दिया और इसे सीमाओं की सुरक्षा तथा भोजन, ऊर्जा, पर्यावरण, साइबर एवं अंतरिक्ष जैसे अन्य पहलुओं के समान ही जरूरी बताया। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार सांस्कृतिक सुरक्षा पर जोर दे रही है और सांस्कृतिक एकता बनाए रखने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने इस आयोजन – सौराष्ट्र और तमिलनाडु के समागम – को भारत की सांस्कृतिक एकता का एक उत्सव और ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का एक उत्कृष्ट उदाहरण बताया।
सौराष्ट्र और तमिलनाडु के बीच के सांस्कृतिक जुड़ाव के बारे में बोलते हुए, राजनाथ सिंह ने कहा कि ये संबंध एक हजार साल से भी अधिक पुराने हैं। उन्होंने कहा, “सौराष्ट्र पर ग्यारहवीं शताब्दी के आसपास विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा कई बार हमला किया गया था। यह वह दौर था जब सौराष्ट्र से बड़ी संख्या में लोग दक्षिण भारत की ओर पलायन कर गए थे। उस दौरान तमिलनाडु के लोगों ने उनका स्वागत किया और उन्हें एक नया जीवन शुरू करने में मदद की।” उन्होंने सौराष्ट्र और तमिलनाडु के बीच सदियों पुराने जुड़ाव के कई उदाहरण दिए और इसे एकीकृत भारत के सुनहरे अध्यायों में से एक बताया।
इस अवसर पर तेलंगाना की राज्यपाल डॉ. तमिलिसाई सुंदरराजन, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया और गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भी उपस्थित थे।
भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं