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अगरबत्ती बनाने पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया

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देहरादून (मा.स.स.). वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद – राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं नीति अनुसंधान केंद्र (सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर – निस्पर) ने उन्नत भारत अभियान (यूबीए) और विज्ञान भारती (विभा – वीआईबीएचए) के सहयोग से उत्तराखंड में हरिद्वार जिले के गैंडीखाता संकुल (क्लस्टर) के पीली पड़व गांव के ग्राम पंचायत भवन में 25 मई 2023 को अगरबत्ती बनाने पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया।

इस कार्यशाला का उद्देश्य वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद – केन्द्रीय औषधीय एव सगंध पौधा संस्थान [सीएसआईआर-सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमैटिक प्लांट्स – सीआईएमएपी), लखनऊ द्वारा विकसित अगरबत्ती बनाने की तकनीक (जानकारी) पर किसानों और महिलाओं को प्रशिक्षण देना और प्रोत्साहित करना था। कार्यशाला में 120 से अधिक महिला प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यक्रम की शुरुआत सुमीनाक्षी चौधरी, स्थानीय समन्वयक, यूबीए नेटवर्क के स्वागत भाषण से हुई। दर्शकों को सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ. योगेश सुमन ने जानकारी दी। उन्होंने सीएसआईआर प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका सृजित करने के लिए इन संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से किए जा रहे प्रयासों के महत्व के बारे में चर्चा की।

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद – राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं नीति अनुसंधान केंद्र (सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर – निस्पर) की निदेशक प्रो. रंजना अग्रवाल, निदेशक इस कार्यक्रम में ऑनलाइन शामिल हुईं और उन्होंने भी दर्शकों को अगरबत्ती बनाने की तकनीक के महत्व के बारे में जानकारी देते हुए शिरडी, महाराष्ट्र के पास आजीविका में इससे होने वाले अंतर को रेखांकित किया। उन्होंने उन परिवर्तनों के बारे में उल्लेख किया जिन्हें यह तकनीक विशेष रूप से महिलाओं के जीवन और आजीविका में लेकर आई हैं। उन्होंने इस तकनीक के पारिस्थितिक महत्व के बारे में बताया कि कैसे यह एक स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करके एक चक्रीय अर्थव्यवस्था (सर्कुलर इकॉनोमी) को उत्पन्न करने में योगदान दे सकती है।

सभा को बाद में उन्नत भारत अभियान (यूबीए) के राष्ट्रीय समन्वयक प्रो. वीरेंद्र कुमार विजय ने भी संबोधित किया। उन्होंने उन्नत भारत अभियान के बारे में बताया और कहा कि यह कैसे आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। ग्राम प्रधान शशि झंडवाल ने बेरोजगारी और आजीविका से संबंधित स्थानीय समस्याओं और इस तरह की तकनीकों के हस्तक्षेप से इन्हें कैसे हल किया जा सकता है, के बारे में बताया। उन्होंने इस तरह के उपयोगी प्रशिक्षण कार्यक्रम के आयोजन के लिए सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर और यूबीए टीमों को भी धन्यवाद दिया। प्रशिक्षण सत्र का संचालन वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद – केन्द्रीय औषधीय एव सगंध पौधा संस्थान [सीएसआईआर-सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमैटिक प्लांट्स -सीआईएमएपी) के तकनीकी अधिकारी मनोज यादव ने किया। प्रशिक्षणार्थियों की सीखने में अत्यधिक रुचि थी जो उनकी सक्रिय भागीदारी से स्पष्ट था।

बहुत विस्तार से प्रदर्शन के दौरान मनोज ने प्रशिक्षुओं से बातचीत के साथ ही हर कदम पर होने वाली पेचीदगियों और विभिन्न संभावित माध्यमों से कच्चे माल की व्यवस्था के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा कि यह तकनीक स्वयं में आत्मनिर्भर है और घरेलू उपकरणों का उपयोग कर अगरबत्ती का उत्पादन किया जा सकता है। सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर उन्नत भारत अभियान (यूबीए) और विज्ञान भारती (विभा – वीआईबीएचए) के सहयोग से इस तरह की प्रशिक्षण कार्यशालाओं की एक श्रृंखला आयोजित कर रहा है। ये कार्यक्रम यूबीए नेटवर्क से जुड़े गांवों में आजीविका के अवसर पैदा करने पर केंद्रित हैं। एनआईएससीपीआर टीम का नेतृत्व वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ. योगेश सुमन कर रहे हैं और उनके साथ में सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. शिव नारायण निषाद एवं डॉ. विनायक, वरिष्ठ वैज्ञानिक वैज्ञानिक सुमीताली भारती सम्मिलित हैं ।

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