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जम्मू-कश्मीर में करीब-करीब 300 आरटीआई आवेदन मामले ही अब लंबित हैं : डॉ. जितेंद्र सिंह

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नई दिल्ली (मा.स.स.). भारत के मुख्य सूचना आयुक्त यशवर्धन कुमार सिन्हा ने आज केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी; राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान; राज्य मंत्री प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री, परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह से भेंट की। मुख्य सूचना आयुक्त ने डॉ. जितेंद्र सिंह को जम्मू और कश्मीर सहित देश भर में आरटीआई आवेदनों के निपटान तथा उनके लंबित होने की वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी दी। जम्मू और कश्मीर में केंद्रीय सूचना आयोग का अधिकार क्षेत्र केवल तीन साल पहले इस राज्य के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद बढ़ाया गया था।

मुख्य सूचना आयुक्त ने केंद्रीय मंत्री के साथ घंटे भर की बैठक के दौरान, हाल के दिनों में कोविड महामारी के कारण उत्पन्न व्यवधानों के बावजूद आरटीआई के लंबित मामलों की निपटान दर में सुधारवादी कमी के बारे में विस्तार से बताया। डॉ. जितेंद्र सिंह ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) मामलों के निपटान में होने वाली बढ़ोतरी की तुलना में लंबित मामलों में भी लगातार कमी लाने के लिए केंद्रीय सूचना आयोग की सराहना की। केंद्रीय मंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि लंबित मामलों की संख्या पिछले साल के करीब 29,000 मामलों से घटकर वर्तमान में लगभग 19,000 रह गई है, जबकि मामलों के निपटाने की रफ्तार 2021-22 में 28,793 से बढ़कर 2022-23 में 29,104 हो गई है।

यशवर्धन कुमार सिन्हा ने यह भी बताया कि जून 2020 के महीने में कोविड महामारी के बावजूद आरटीआई के आवेदनों की मासिक निपटान दर इसके पिछले वर्ष जून के महीने यानी 2019 की दर से कहीं अधिक थी। उन्होंने कहा, ऐसा इसलिए संभव हो सका, क्योंकि केंद्रीय सूचना आयोग ने ऑनलाइन, वर्चुअल माध्यम और वीडियो कॉन्फ्रेंस की आधुनिक तकनीक का उपयोग करके कोविड के समय में भी निर्बाध रूप से अपना कामकाज करना जारी रखा था।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी बताया कि मई, 2020 में कोविड महामारी के चुनौतीपूर्ण समय के दौरान भी केंद्रीय सूचना आयोग ने नवगठित केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर से आरटीआई की जांच करना, उनकी सुनवाई करना और निपटान करने का कार्य वर्चुअल माध्यमों से शुरू कर दिया था। उन्होंने कहा, जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख के आवेदकों को अपने घर से ही आरटीआई आवेदन दाखिल करने और यहां तक कि केंद्रीय सूचना आयोग में अपील करने के लिए भी अनुमति प्रदान कर दी गई थी। यहां पर इस तथ्य का उल्लेख करना आवश्यक है कि जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के पारित होने के परिणामस्वरूप, जम्मू-कश्मीर सूचना का अधिकार अधिनियम 2009 तथा उसके तहत आने वाले नियमों को निरस्त कर दिया गया और सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 व उसके अंतर्गत आने वाले नियमों को 31.10.2019 से लागू कर दिया गया। डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि जहां तक जम्मू-कश्मीर की बात है तो वहां काफी परिवर्तन आ चुका है। अब जम्मू और कश्मीर के गैर-अधिवास या गैर-राज्य विषय भी केंद्र शासित मुद्दों अथवा एजेंसियों से संबंधित आरटीआई फाइल करने के हकदार हैं।

सिन्हा ने डॉ. जितेंद्र सिंह को इस वर्ष की शुरुआत में केंद्र शासित प्रदेश को केंद्रीय सूचना आयोग के दायरे में लाने के बाद से जम्मू-कश्मीर से आरटीआई आवेदनों के निपटान की स्थिति के बारे में भी बताया। जम्मू-कश्मीर में मुख्य सूचना आयुक्त कार्यालय शुरू होने के बाद साल 2020-21 में 844 पंजीकृत आरटीआई आवेदनों में से 301 का निपटान किया गया। वर्ष 2021-22 में 297 नए आरटीआई आवेदन पंजीकृत किए गए और 114 का निस्तारण हुआ था। साल 2022-23 के दौरान 293 नए आरटीआई आवेदन पंजीकृत हुए और 697 का निपटारा किया गया, जिसमें पिछले वर्षों के बैकलॉग भी शामिल थे। केंद्रीय सूचना आयोग पिछले तीन वर्षों से जम्मू-कश्मीर में कार्य कर रहा है। अब तक, लगभग 300 आरटीआई आवेदन लंबित हैं और यशवर्धन कुमार सिन्हा ने आश्वासन दिया कि बहुत जल्द इनका भी निपटारा कर दिया जाएगा। उन्होंने सरकार से मिलने वाले निरंतर सहयोग और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) द्वारा समन्वय के लिए केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह को धन्यवाद दिया।

केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में ही दिन अथवा रात के किसी भी समय और देश या विदेश के किसी भी हिस्से से आरटीआई आवेदनों की ई-फाइलिंग के लिए 24 घंटे की पोर्टल सेवा शुरू की गई। उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी का कार्यकाल ही है, जिस दौरान केंद्रीय सूचना आयुक्त के कार्यालय को उसके अपने विशेष कार्यालय परिसर में स्थानांतरित किया गया। डॉ. जितेंद्र सिंह ने दोहराया कि सरकार के कामकाज में पारदर्शिता और जन-भागीदारी के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए केंद्रीय सूचना आयोग की भूमिका महत्वपूर्ण है।

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