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सर, मेरी शादी को 45 साल हो गए और मैं कभी गुस्सा नहीं करता : मल्लिकार्जुन खरगे

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नई दिल्ली. राज्यसभा में आज कुछ देर के लिए ही सही, नजारा बदला-बदला दिखा। पीयूष गोयल भी आराम से बोले, खरगे कुछ देर संभलकर बोलते दिखे और सभापति जगदीप धनखड़ की बातों ने सभी को हंसाया। जी हां, उन्होंने कहा कि मेरी शादी को 45 साल हो चुके हैं और मैं कभी गुस्सा नहीं करता। इससे पहले सुबह सदन की कार्रवाई शुरू होने के बाद सत्तापक्ष और विपक्ष में मणिपुर के मुद्दे पर कुछ बात बनती दिखी।

राज्यसभा में सुबह 11.30 बजे के करीब सभापति जगदीप धनखड़ सदस्यों को समझा रहे थे तभी मल्लिकार्जुन खरगे खड़े हो गए। धनखड़ बोले कि आप अनुभवी हैं, हम आपका गाइडेंस चाहते हैं। मुस्कुराते हुए सभापति ने कहा कि सर, मैं आपकी तरफ देखता रहता हूं। खरगे ने अपने अंदाज में जवाब दिया कि जब भी आप मुझे उठाते हैं तो 2 सेकेंड में फिर बिठा देते हैं। विपक्ष के सदस्य हंसने लगे। खरगे ने कहा कि बार-बार ऐसा क्यों हो रहा है, मुझे मालूम नहीं। मणिपुर पर सभी ने मिलकर रास्ता निकालने के लिए कहा है। यह कहते-कहते खरगे ने कहा, ‘हमारे इंडिया पार्टी के जितने भी…।’ यह सुनते ही सत्ता पक्ष के सदस्य शोर करने लगे।

सत्तापक्ष के कई सदस्यों ने खड़े होकर I.N.D.I.A पार्टी कहने पर एतराज जताया। सभापति ने सत्ता पक्ष के सदस्यों को समझाया कि अभी दूसरी तरफ मत जाइए। नेता प्रतिपक्ष खरगे ने आगे कहा कि मेरा निवेदन है कि 176 का नोटिस भी उसी दिन दिया गया, 267 भी… 267 नोटिस में सभी बिजनस को अलग रखकर प्रायॉरिटी देना चाहिए। लेकिन मुझे समझ में नहीं आ रहा कि ये प्रतिष्ठा का मसला क्यों बन गया। 267 में हमें कहने के लिए मौका मिलता है, आपने ये भी कहा कि उसे एडमिट करने के लिए कारण होना चाहिए।

आप जरा गुस्से में थे…
खरगे ने कहा कि मैंने कल ही विनती की लेकिन आप जरा गुस्से में थे…। इतना सुनते ही धनखड़ हंस पड़े। उन्होंने कहा, ‘सर मेरी शादी को 45 साल से ज्यादा हो चुके हैं। मैं कभी गुस्सा नहीं करता। और चिदंबरम सीनियर वकील हैं। वह जानते होंगे कि सीनियर एडवोकेट को अथॉरिटी के सामने गुस्सा नहीं करना चाहिए। आप अथॉरिटी हैं सर। इसे मॉडिफाई कर दो सर।’ इसके बाद खरगे ने हंसते हुए कहा कि नहीं, नहीं आप गुस्सा नहीं करते, दिखाते नहीं लेकिन बराबर अंदर से करते हो। यह सुनकर एक बार फिर सदन में हंसी का गुब्बारा फूट पड़ा। सत्ता और विपक्ष के सदस्य मौज लेने लगे। किसी ने कुछ कहा तो सभापति ने कहा कि she is not member of this house, वह इस सदन की सदस्य नहीं हैं इसलिए हम उनकी चर्चा नहीं कर सकते।

खरगे ने कहा कि मैंने नोटिस यूं ही नहीं दिया। मैंने 8 पॉइंट लिखकर दिया था कि क्यों 267 में इस विषय को लेना चाहिए लेकिन आप कह रहे कि कोई कारण नहीं। हम रोज उठा रहे हैं। मेरा सजेशन यही है कि आप 1 बजे चैंबर में बुलाइए तब तक आप हाउस स्थगित कीजिए। फिर हम आएंगे और यहां बैठेंगे। खरगे ने कहा कि सर, आप छोटा सा सजेशन भी नहीं मानते। पीएम को यहां आने को बोलिए, वो भी नहीं मानते। पीएम को आप इतना डिफेंड कर रहे हैं, मुझे समझ में नहीं आ रहा है। इस पर हंगामा शुरू हो गया। सत्तापक्ष के सदस्यों की आपत्ति पर खरगे ने कहा कि आप हर बात पर असंसदीय कहते हो, यह लोकतंत्र है।

पीएम को डिफेंड करने की जरूरत नहीं
सभापति ने जवाब दिया कि LOP ने तीन चीजें उठाई हैं। उन्होंने पीएम पर कुछ कहा है। भारत अकेला ऐसा देश है जहां गांव के स्तर तक लोकतांत्रिक व्यवस्था है। मुझे प्रधानमंत्री को डिफेंड करने की जरूरत नहीं। अमेरिका में सेनेट और कांग्रेस का रिस्पांस सभी ने देखा है। हमें उस पर गर्व करना चाहिए। भारत आज तेजी से आगे बढ़ रहा है। ऐसा पहले कभी नहीं देखा गया। वैश्विक मान्यता मिल रही है। सभापति ने आगे कहा कि 3 दशक के बाद 2014 और 2019 का रिजल्ट देख लीजिए। मैं यहां संविधान को डिफेंड करने के लिए हूं। मैं पार्टी पॉलिटिक्स में नहीं हूं। इसके बाद फिर से विपक्षी सदस्यों ने नारे लगाने शुरू कर दिए। बाद में वॉकआउट कर गए।

साभार : नवभारत टाइम्स

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