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भारत के संयुक्त राष्ट्र में गाजा सीजफायर पर समर्थन न करने पर भड़की प्रियंका गांधी

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नई दिल्ली. आतंकवाद पर भारत अब कोई समझौता नहीं करने वाला, भले ही उसे अपनी ऐतिहासिक परंपरा ही क्यों नहीं बदलनी पड़े. हमास ने इजरायल पर बर्बर हमला किया तो खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो टूक शब्दों में इसे आतंकी कार्रवाई बताया और अब भारत ने संयुक्त राष्ट्र में एक प्रस्ताव पर वोटिंग से दूर रहकर अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं किआतंकवाद और आतंकियों के प्रति कोई नरमी नहीं बरती जाएगी चाहे वो फिर भारत में हो या इजरायल में.

वहीं, देश की सबसे पुरानी और मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस को यूएन में भारत का यह रुख खल गया है. पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने एक लंबे-चौड़े एक्स पोस्ट में भारत सरकार के इस फैसले की कड़ी निंदा की और मोदी सरकार का नाम लिए बिना कहा कि इसने भारत की नैतिक और मर्यादित परंपराओं का उल्लंघन किया है. साथ ही उन्होंने कहा कि मजे की बात यह है कि भारत ने इस वक्त यूएन में उसी कनाडा का साथ दिया जिससे अभी छत्तीस का आंकड़ा है.

उन्होंने यह भी कहा कि हमारा देश अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों पर आधारित है और भारत नैतिक साहस का प्रतिनिधित्व करते है. भारत के सिद्धांतों की याद दिलाते हुए उन्होंने कहा कि हमारा देश अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों पर स्थापित हुआ था, जिन सिद्धांतों के लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना जीवन लगा दिया, ये सिद्धांत संविधान का आधार हैं, जो हमारी राष्ट्रीयता को परिभाषित करते हैं. एक्स पर पोस्ट में, प्रियंका गांधी ने कहा, ”आंख के बदले आंख पूरी दुनिया को अंधा बना देती है”, महात्मा गांधी. मैं स्तब्ध और शर्मिंदा हूं कि हमारे देश ने गाजा में युद्धविराम के लिए मतदान नहीं किया.”

प्रियंका गांधी ने कहा,’ फिलिस्तीन में मानवता के हर कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, लाखों लोगों के लिए भोजन, पानी, चिकित्सा आपूर्ति, संचार और बिजली काट दी गई है और फिलिस्तीन में हजारों पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को नष्ट किया जा रहा है, इसलिए स्टैंड लेने से इनकार करना और चुपचाप देखना अस्वीकार्य है.’ उनकी टिप्पणी तब आई, जब भारत ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में जॉर्डन द्वारा प्रस्तुत एक मसौदा प्रस्ताव पर मतदान से परहेज किया, जिसमें इजराइल-हमास संघर्ष में तत्काल मानवीय संघर्ष विराम का आह्वान किया गया था.

साभार : इंडिया वेबसाइट

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